मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

07 जनवरी 2011

उत्तराखंडःएमबीबीएस डिग्री की वैधता का संकट खत्म

श्रीनगर मेडिकल कालेज के छात्र-छात्राओं की एमबीबीएस डिग्री की वैधता पर मंडरा रहा संकट अब दूर होगा। तकनीकी विश्वविद्यालय से कालेज को वर्ष 2008-09 की संबद्धता देने के शासन के प्रस्ताव को न्याय महकमे से अनुमति मिल गई है।
राज्य सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट श्रीनगर मेडिकल कालेज शुरू होने के साथ ही इसकी संबद्धता के मामले में पेच फंसा है। इस वजह से कालेज को वर्ष 2008-09 से अभी तक विश्वविद्यालय से संबद्धता नहीं मिली है। केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने के बाद एचएनबी गढ़वाल विवि ने नई संबद्धता देने पर रोक लगा दी। केंद्रीय विवि ने श्रीनगर मेडिकल कालेज की संबद्धता प्रकरण पर विचार करने से इंकार कर दिया। काफी हाथ-पांव मारने पर भी इस मामले में कामयाबी नहीं मिलने पर सरकार ने उत्तराखंड तकनीकी विवि से कालेज को संबद्ध करने का फैसला किया। हालांकि, इस फैसले को अमल में लाने पर पेच फंस गया। सरकार ने वर्ष 2009-10 में आदेश जारी कर तकनीकी विवि को अन्य कोर्स व कालेजों को संबद्धता देने को अधिकृत किया। इसके मद्देनजर विवि ने वर्ष 2009-10 और उसके बाद मेडिकल कालेज को संबद्धता का प्रस्ताव शासन को भेजा। इसमें कालेज को वर्ष 2008-09 में संबद्धता देने का प्रस्ताव नहीं किया गया। इससे कालेज को उक्त वर्ष की संबद्धता का संकट खड़ा हो गया। इसके समाधान के लिए सरकार ने न्याय महकमेके दर पर दस्तक दी। न्याय महकमे ने विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने के बाद शासन के प्रस्ताव को अनुमति दी है। संपर्क करने पर तकनीकी शिक्षा अपर सचिव नीरज सेमवाल ने स्वीकार किया कि न्याय से मेडिकल कालेज को तकनीकी विवि से ही वर्ष 2008-09 की संबद्धता देने की हरी झंडी मिल चुकी है। उधर, तकनीकी विवि रजिस्ट्रार सीएस मेहता ने कहा कि शासन से निर्देश मिलने पर विवि को संबद्धता देने के मामले में कार्यवाही की जाएगी। संबद्धता नहीं मिलने से श्रीनगर मेडिकल कालेज के छात्र-छात्राओं की डिग्री की वैधता पर भी संकट मंडरा रहा है(रविंद्र बड़थ्वाल,दैनिक जागरण,देहरादून,7.1.11)।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।