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21 जनवरी 2011

हिमाचलःकांग्रेस भी कूदी विश्वविद्यालय नियुक्ति विवाद में

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में परीक्षा नियंत्रक की नियुक्ति को लेकर मचे घमासान में आज विपक्षी दल कांग्रेस ने भी अपने आपको शामिल कर लिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कौल सिंह ठाकुर ने आज शिमला में इस विवाद को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया और कहा कि विश्वविद्यालय में शैक्षणिक और प्रशासनिक माहौल ठप होकर रह गया है तथा बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बडिय़ां भी हो रही हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय परीक्षा नियंत्रक के पद पर हुई नियुक्ति को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया और कहा कि कांग्रेस इस नियुक्ति सहित विश्वविद्यालय में वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताओं को लेकर शीघ्र ही एक आरोपपत्र जारी करेगी। उन्होंने परीक्षा नियंत्रक नियुक्ति विवाद को सुलझाने के लिए राज्यपाल एवं कुलाधिपति उर्मिला सिंह से दखल की मांग भी की और कहा कि वे मौजूदा कुलपति सुनील कुमार गुप्ता को नीतिगत निर्णय लेने से रोकें, क्योंकि उनका सेवाकाल शीघ्र ही समाप्त होने जा रहा है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि विश्वविद्यालय में परीक्षा नियंत्रक सहित विभिन्न नियुक्तियों को लेकर हुए विवाद के कारण विश्वविद्यालय का शैक्षणिक माहौल खराब हो गया है। उन्होंने कहा कि परीक्षा नियंत्रक के पद पर कुलपति द्वारा की गई नियुक्ति सरासर गलत है, क्योंकि इसमें विश्वविद्यालय अधिनियम का पूरी तरह से उल्लंघन किया गया है। उन्होंने कहा कि कुलपति पिक एंड चूज के आधार पर विश्वविद्यालय में नियुक्तियां कर रहे हैं जिस कारण विश्वविद्यालय के अधिकांश वर्ग उनसे नाराज हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि परीक्षा नियंत्रक का पद अत्यधिक संवेदनशील है, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन और सरकार इसे काफी हल्के ढंग से ले रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस तरह के कदम उठाकर प्रदेश सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन राज्य में निजी शिक्षण संस्थानों को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने कहा कि जब से भाजपा सरकार सत्ता में आई है तभी से राज्य में विश्वविद्यालय सहित सभी शिक्षण संस्थानों का भगवाकरण आरंभ हो गया है और योग्यता तथा अनुभव को दरकिनार कर भाजपा विचारधारा से जुड़े लोगों को इन संस्थानों में नियुक्तियां दी जा रही है। विश्वविद्यालय को नेक द्वारा बी ग्रेड दिया जाना इसका स्पष्ट उदाहरण है।

कौल सिंह ठाकुर ने कुलाधिपति एवं राज्यपाल से विश्वविद्यालय परीक्षा नियंत्रक नियुक्ति मामले में तुरंत हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा है कि वे इसे सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए आगे आएं ताकि शीघ्र ही आरंभ होने वाली वार्षिक परीक्षाओं को सही ढंग से निपटाया जा सके। उन्होंने कहा कि जब तक विश्वविद्यालय में स्थायी परीक्षा नियंत्रक की नियुक्ति नहीं हो जाती तब तक आंतरिक व्यवस्था के तहत विश्वविद्यालय से ही किसी अनुभवी एवं योग्य अधिकारी को इस पद पर तैनाती दी जाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के सत्ता में आने पर विश्वविद्यालय में हुई वित्तीय, प्रशासनिक और शैक्षणिक गड़बडिय़ों की व्यापक जांच करवाएगी और इनके लिए जिम्मेवार दोषी लोगों को दंडित किया जाएगा।
इस बीच विश्वविद्यालय में संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले कर्मचारियों का परीक्षा नियंत्रक की नियुक्ति के खिलाफ आंदोलन आज भी जारी रहा। संयुक्त संघर्ष समिति ने दोपहर के भोजनावकाश के दौरान एक रैली का आयोजन किया जिसे विभिन्न कर्मचारी नेताओं ने संबोधित किया। कार्यकारी परिषद सदस्य एवं कर्मचारी नेता बरयाम सिंह बैंस ने रैली को संबोधित करते हुए कुलपति की इस सफाई पर कड़ा एतराज जताया कि उनके द्वारा की गई परीक्षा नियंत्रक की नियुक्ति सही है और कर्मचारी आंदोलन ड्रामा है। उन्होंने आंदोलनरत कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की धमकी को भी गैर-जिम्मेदाराना करार दिया है और कहा है कि यदि इस नियुक्ति को निरस्त नहीं किया जाता है तो संयुक्त संघर्ष समिति आंदोलन के अगले चरण में विश्वविद्यालय में कुलसचिव और कुलपति का घेराव करेगी तथा कुलपति हटाओ विश्वविद्यालय बचाओ का नारा देगी। संयुक्त संघर्ष समिति ने विश्वविद्यालय में अधिशासी अभियंता, मुख्य सुरक्षा अधिकारी और जूनियर ऑडिटर की नियुक्तियों को भी तुरंत रद्द करने की मांग की है।
संयुक्त संघर्ष समिति के इस आंदोलन को विश्वविद्यालय शिक्षकों और विश्वविद्यालय केंद्रीय छात्र संघ ने भी समर्थन दे रखा है(दैनिक ट्रिब्यून,शिमला,21.1.11)

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