औद्योगिक नगरी के रूप में जाना जाने वाला मिनी मुंबई यानी इंदौर अब एजुकेशन हब के रूप में भी जाना जाने लगा है। इसका आंकलन दस साल पहले कॉलेजों की संख्या और आज हुए एक या दो गुना नहीं, बल्कि सौ गुना इजाफे को देखकर लगाया जा सकता है। शहर में मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग व मेडिकल कॉलेज के नाम पर मात्र 15 कॉलेज थे, जो आज 115 से अधिक हो गए हैं और आने वाले अगले पांच सालों में 150 सौ से अधिक हो जाएंगे। दुनियाभर में एजुकेशन के नाम पर सबसे पहले पुणे, मुंबई, दिल्ली, कोटा, बैंगलुरू जैसे बड़े शहरों के नाम ही जुवान पर आते हैं, लेकिन अब कॉलेज, कोचिंग व होस्टलों की बढ़ती संख्या ने इंदौर को भी इन्हीं शहरों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है। आज प्रदेश के ही नहीं, बल्कि राजस्थान, दिल्ली, बिहार, यूपी आदि के साथ विदेशों से भी स्टूडेंट इंदौर में एजुकेशन लेने के लिए आ रहे हैं। इसके अलावा शहर के पूर्वी-दक्षिण क्षेत्र को राज्य शासन ने इंदौर विकास योजना मास्टर प्लान 2021 में एजुकेशन हब भी घोषित कर दिया है। वैसे तो पूरे शहर में चारों तरफ ही इंदौर में प्रवेश के करते शिक्षण संस्थान नजर आने लगते हैं।
बढ़ा है व्यवसाय :
एजुकेशन हब होने से शहर पर कुछ अच्छे तो कुछ खराब प्रभाव भी पड़े हैं, जहां एक ओर आबादी बढ़ने से प्रदूषण बढ़ा है तो वहीं होटल, होस्टल आदि खोलने से लोगों का व्यवसाय भी बढ़ा है। पर्यटक स्थलों पर भीड़ बढ़ने से शहर प्रशासन ही नहीं, बल्कि शासन भी ध्यान देने लगा है। इसके लिए कुछ विशेष कार्ययोजनाएं भी बनाई जा रही हैं। मास्टर प्लान में भी घोषित : जानकारी के अनुसार शहर के बढ़ते परिदृश्य और शिक्षण संस्थानों को देखते हुए टाउन एंड कंट्री प्लानरों ने भंवरकुंआ से खंडवा रोड बायपास तक के क्षेत्र को एजुकेशन हब के रूप में घोषित कर दिया है। इस मार्ग पर डीएवीवी के अलावा आईआईटी सहित 20 से ज्यादा कॉलेज व 30 से ज्यादा बड़े स्कूल हैं। इस क्षेत्र को एजुकेशन हब घोषित करने का एक उद्देश्य शैक्षिणक संस्थानों को बढ़ावा एवं प्रोत्साहित करना है(दैनिक जागरण,इन्दौर,6.1.11)।
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