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19 जनवरी 2011

एसबीआई अफसरों को लेनी होगी दस दिन की अनिवार्य छुट्टी

देश का कॉर्पोरेट और बैकिंग सेक्टर अपने यहां रोजाना हो रहे घोटालों या फ्रॉड को रोकने के लिए नई-नई रणनीतियां बना रहा है। इस मायने में सरकारी क्षेत्र के बैंक भारतीय स्टेट बंैक (एसबीआई) ने एक अनोखा रास्ता अख्तियार किया है। उसने अपने सभी अधिकारियों से कहा है कि वह हर साल में दस दिन की छुट्टी जरूर लें और उनकी जगह नए अधिकारियों को रखा जाएगा। इससे होगा यह कि नए अधिकारी अपने पुराने अधिकारी के रैकेटों, संबंधों और संपर्कों का पर्दाफाश कर सकेंगे।
हालांकि बैंकों में अधिकारियों और कर्मचारियों को कैजुअल, पीएल और सिक लीव के रूप में अनेक दिनों की छुट्टियां मिलती हैं। लेकिन कई अधिकारी-कर्मचारी इनका इस्तेमाल नहीं करते। अब उन्हें अनिवार्य रुप से एक साथ दस दिन की छुट्टी अनिवार्य रुप से लेनी होंगी।
गौरतलब है कि एसबीआई पर हाल ही में आयकर विभाग ने सर्च ऐंड सर्वे किया था क्योंकि बैंक पर आरोप था कि उसने नियमों को ताक पर रखकर मोबाइल फोन कंपनियों को अरबों रुपयों के लोन दे दिए। बैकिंग सूत्रों का कहना है कि यह तरीका विदेशों में बैंक और कंपनियों में खूब अजमाया जाता है। शुरूआत में यह बैंक के 50,000 कर्मचारियों पर लागू किया जाएगा और बाद में इसे बैंक के 1 लाख क्लरिकल कर्मचारियों पर भी लागू किया जाएगा। 

वर्ष 2007 से यूरोप और अमेरिका में बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और बीमा कंपनियों की हालत खराब हो गई है और एक के बाद एक बंद हो रही हैं। वहां पिछले कुछ महीनों से यहां के कर्मचारियों-अधिकारियों को अनिवार्य रूप से छुट्टियों पर भेजा जाने लगा है जिसके परिणाम अच्छे आए हैं। इससे न केवल पुराने अधिकारियों के राज खुलने लगे हैं वरन् कोई भी अधिकारी अनियमितताओं को करने से डरने लगा है। साथ ही छुट्टी के बाद जब अधिकारी काम पर लौटता है तो तरोताजा रहता है जिससे वह ज्यादा काम कर पाता है। साथ ही इससे बेरोजगारी की समस्या भी कुछ हद तक वहां कम हुई है(नवभारत टाइम्स,मुंबई,19.1.11)। 

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