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18 जनवरी 2011

बोर्ड परीक्षा की कार्यनीति

इसमें कोई शक नहीं कि बोर्ड की परीक्षा की तैयारी करने का मानसिक दबाव अपने आप में ही इतना ज्यादा दिमाग पर हावी होता जाता है कि संतुलित तरीके से सोचना और प्लान बनाना आसान नहीं रह जाता है। सबसे पहले तो तनाव से स्वयं को निकालना जरूरी हो जाता है। इसके लिए सबसे अच्छा तरीका तो यही है कि अपना ध्यान पढ़ाई पर फोकस करें और इस तरह का टाइम टेबल बनाएं कि आपको अपने आप यह विश्वास होता जाए कि आप सही समय पर कोर्स पूरा कर लेंगे और अच्छे अंक बटोर सकेंगे। हां, इसमें ईमानदारी से प्रयास सबसे पहली शर्त है। इस तनाव का दबाव खत्म करने के साथ ही आपको अपनी अध्ययन की रणनीति पर भी जोर-शोर से काम करते रहना पड़ेगा। आइए बात करते हैं कि तैयारी की किस तरह की स्ट्रेटेजी कारगर सिद्ध हो सकती है बेहतरीन रिजल्ट लाने में।

नोट्स कैसे लिखें :-
हमेशा नोट्स अपनी भाषा में लिखें। किसी भी टॉपिक के संबंध में संपूर्ण जानकारी दें। प्रयास करें कि भाषा और लेखन शैली की दृष्टि से परीक्षा की कॉपी में लिखने के सामान हो ताकि पुनरावृति के समय आपको इसके अलावा कुछ और देखने की जरूरत नहीं पड़े। रफ नोट्स बनाने से कोई फायदा नहीं।

पढ़ाई के लिए विषय का चुनाव करने से पहले :-
हमेशा ऐसे विषय से शुरुआत करें जो आपको सबसे कठिन लगता हो। चूंकि फ्रेश माइंड से पढ़ाई की शुरुआत होगी इसलिए मुश्किल टॉपिक समझने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी।

पढ़ने की जगह का चयन
जगह ऐसी होनी चाहिए जहां आप सुकून और शांति अनुभव करें और बाहरी व्यवधान नहीं के बराबर हो। इससे ध्यान केंद्रित करने में ज्यादा मुश्किल नहीं होगी। कोशिश करें कि टी. वी. के आसपास या ऐसी जगह जहां लोगों का आना-जाना ज्यादा हो, का चयन पढ़ाई करने के लिए नहीं करें।

महत्वपूर्ण अंशों को रेखांकित करना
पढ़ते समय पुस्तक में ही महत्वपूर्ण अंशों को रेखांकित करते चलें। इससे दुबारा देखते समय पूरा चैप्टर पढ़ने की नौबत नहीं आएगी। साथ ही साथ एक तरफ अपने कॉमेंट्स भी लिखते जाएं तो और आसानी होगी बाद में।इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि आपस में ये छात्र नोट्स, विचार और अपनी समस्याओं को मिल बांट सकते हैं तथा एक-दूसरे के ज्ञान का फायदा उठा सकते हैं। ध्यान रखें कि पढ़ाई से बैर रखने वाले छात्रों के साथ इस तरह का ग्रुप बनाने से नुकसान ज्यादा होता है।

ट्रायल एग्जाम जरूर लेते रहें

प्रत्येक टॉपिक की समाप्ति के बाद एग्जाम हॉल की भांति अपने ज्ञान का टैस्ट अवश्य करते रहें। इससे आप समझ सकेंगे की दिमाग में कितनी जानकारी संजो सके आप। इतना ही नहीं इसका सबसे बड़ा फायदा यह भी होगा कि मानसिक तौर पर आप परीक्षा के फोबिया से मुक्ति पा सकेंगे।


सीबीएसई के निर्देशों की जानकारी जरूरी 
सीबीएसई समेत विभिन्न परीक्षा बोर्ड समय-समय पर परीक्षा पैटर्न में बदलाव करते रहते हैं और इनसे संबंधित दिशा-निर्देश उनकी वेबसाइट या स्कूलों के माध्यम से छात्रों तक पहुंचाए जाते हैं। बेहतर यही होगा कि आपको इस संबंध में ताजी जानकारियां हों। इन बदलावों में विभिन्न विषयों के लिए निर्धारित अंकों के मान में परिवर्तन, सिलेबस में कांट छांट आदि का खासतौर पर जिक्र किया जा सकता है।

हमेशा अपनी क्षमता के अनुसार ही पढ़ाई करनी चाहिए। एकाएक अवास्तविक तरीके से १६ या १८ घंटों की पढ़ाई का शेड्यूल बनाना कोई समझदारी नहीं है। ५० मिनट से एक घंटे की एक बार में लगातार समबाह है। इससे ज़्यादा जबरदस्ती पढ़ाई करने से कुछ पल्ले नहीं पड़ता। इसीलिए मानसिक थकान से बचते हुए छोटे ब्रेक लेना आवश्यक होता है।

साप्ताहिक शेड्यूल बनाना 
व्यावहारिक संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए पढ़ाई का साप्ताहिक टाइम टेबल सबसे पहले बना लें। सोने के ८ घंटे के समय को अलग रखते हुए कम से कम १० से १२ घंटे का पढ़ने का समय (बीच में छोटे-छोटे ब्रेक के साथ) निर्धारित कर लें। समूचे सिलेबस को बोर्ड से पहले बचे समय के मुताबिक, बांट कर यह शेड्यूल तैयार करें। हर सप्ताह का लक्ष्य इस तरह से फिक्स करते जाएं। पूरी कोशिश करें कि यह लक्ष्य हर हालत में अवश्य पूर्ण हो। इसमें सप्ताह के दौरान की पढ़ाई को दुहराने के समय का प्रावधान जरूर होना चाहिए।

महत्वपूर्ण तथ्यों को पहले देखें
किसी भी चैप्टर की पढ़ाई करने का यह तरीका सही नहीं कहा जा सकता कि समूचे चैप्टर को शुरू से अंत तक आप पढ़ जाएं और बीच-बीच में याद करने की कोशिश भी करें। इसका ज्यादा प्रभावी तरीका यह होगा कि आप शुरुआत से पहले चंद मिनट सरसरी निगाह से उक्त चैप्टर का परिचय, विभिन्न उप-शीर्षक और प्रत्येक पेराग्राफ की शुरुआती पंक्तियां और अंत में दिया गया सार पढ़ लें। इससे आप उक्त विषय से स्वयं को पहले से परिचित कर सकेंगे। फिर जब आप शुरू से पढेंगे तो ज्यादा परेशानी का अनुभव नहीं करेंगे(अशोक सिंह,नई दुनिया,दिल्ली,17.1.11)। 

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