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20 जनवरी 2011

मध्यप्रदेशःदो शिफ्ट में लग सकेंगे इंजीनियरिंग कॉलेज

स्कूलों की तरह अब निजी तकनीकी कॉलेज भी दो शिफ्ट में लगेंगे। ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) ने कॉलेजों को दूसरी शिफ्ट में पीजी कोर्स चलाने की अनुमति दे दी है। इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में कॉलेज में चार टाइल्स की कमी भी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

संचालकों को फैकल्टी को छठे वेतन आयोग के मुताबिक वेतन देना ही होगा। ऐसा न करने पर काउंसिल कॉलेज को बंद भी कर सकती है।
शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए काउंसिल ये कदम उठाने जा रही है।

शैक्षणिक सत्र 2011 के लिए जारी की गई नई नियमावली पर चर्चा के लिए बुधवार को मानव संग्रहालय में आयोजित वर्कशाप में काउंसिल के चेयरमैन प्रो.एसएस मंथा ने कॉलेज संचालकों से कहा कि वे पूरी मुस्तैदी से एआईसीटीई के इंफ्रास्ट्रक्चर और फैकल्टी संबंधी मापदंडों को पूरा करें। ऐसा न होने पर काउंसिल कॉलेज के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने से लेकर कॉलेज की मान्यता खत्म करने तक की कार्रवाई भी कर सकती है।

दो साल के अंदर फैकल्टी एमटेक हो,इसके बाद कॉलेज संचालक दूसरी शिफ्ट में पीजी कोर्स चलाने के लिए एआईसीटीई से अनुमति ले सकते हैं। इसके अलावा अब केवल पीजी कोर्स संचालित करने के लिए भी कॉलेज खोले जा सकेंगे।

खाली सीटों पर विचार नहीं


प्रो.मंथा ने भास्कर से चर्चा में कहा कि दो सालों से २क् से २५ हजार तक खाली जा रही सीटों पर एआईसीटीई ने कोई विचार नहीं किया है। सीटें भले ही खाली जा रही हों, लेकिन नए कॉलेज खोलने की अनुमति या कॉलेजों की सीटें बढ़ाने पर रोक लगाने का काउंसिल का कोई इरादा नहीं है। 

कॉलेज गुणवत्ता बढ़ाएं और सीटें भरें। वहीं पीजीडीबीएम में मैट (मैनेजमेंट एप्टीट्यूड टेस्ट) और कैट (कॉमन एडमिशन टेस्ट) के जरिए प्रवेश न देने की राज्य सरकार की नीति भी सही है। 

पॉलिटेक्निक कॉलेजों में चलने वाले सभी डिप्लोमा कोर्स भी एआईसीटीई के अधीन होंगे। काउंसिल को एफ डी की जगह नगद राशि जमा करनी होगी, जिसका ब्याज एआईसीटीई ही रखेगी। 

‘एफडी के बदले नगद राशि जमा कराने का प्रावधान तो ठीक है, लेकिन इसका ब्याज संस्थान को ही मिलना चाहिए। इसके खिलाफ एसोसिएशन कोर्ट में जा सकता है-"सुरेश चौकसे,सचिव,एसोसिएसन ऑफ टेक्निकल एंड प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट्स(दैनिक भास्कर,भोपाल,20.1.11)

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