संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की डिग्री पाने वाले छात्रों को अब मान्यता और प्रमाणिकता संबंधी दंश नहीं झेलना होगा। इस वर्ष से छात्रों को दी जाने वाले डिग्री संस्कृत के साथ अंग्रेजी भाषा में भी होगी। डिग्री में विशिष्ट विषयों का विस्तार से उल्लेख अंग्रेजी भाषा में होगा।
संस्कृत विश्वविद्यालय की पूर्व मध्यमा, उत्तर मध्यमा, शास्त्री और आचार्य की डिग्री क्रमशः हाईस्कूल, इंटरमीडिएट, स्नातक और स्नातकोत्तर के समकक्ष होती है। इसके बावजूद देश-विदेश में प्रवेश या नौकरी के लिए आवेदन, साक्षात्कार के दौरान अस्वीकार की घटनाएं निरंतर होती रही हैं। छात्रों को डिग्री की मान्यता और उत्तीर्ण विषयों को स्पष्ट करने के लिए परेशान होना पड़ता है। इस समस्या को दूर करने के लिए विवि ने डिग्री में यह परिवर्तन करने का निर्णय लिया था, जिसे विद्या परिषद में मंजूरी मिल गई। डिग्री के नए प्रारूप के निर्धारण की जिम्मेदारी डा. रजनीश शुक्ल को दी गई थी। अभी यह व्यवस्था फिलहाल केवल आचार्य में लागू की जा रही है। मंगलवार को कुलपति प्रो. वी कुटुंब शास्त्री की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें डिग्री के प्रारूप को अंतिम मंजूरी दे दी गई। उप कुलसचिव परीक्षा महेंद्र कुमार ने बताया कि संस्कृत और अंग्रेजी समेत दोनों भाषाओं में डिग्री छापी जाएगी। संस्कृत से इतर विषयों की आचार्य की डिग्री में एमए के साथ विषय का उल्लेख किया जाएगा। जैसे एमए इन लिंग्विस्टिक, एमए इन प्राकृत, एमए इन कंपरेटिव फिलासफी। जबकि संस्कृत विद्या एवं धर्म से संबंधित विषयों की डिग्री में एमए इन संस्कृत के साथ साहित्य, ज्योतिष, नव्य व्याकरण, प्राचीन व्याकरण, वेद, मीमांसा आदि सभी विशिष्ट विषयों का भी उल्लेख किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अगले साल से दूसरी कक्षाओं में यह व्यवस्था लागू हो जाएगी। डा. रजनीश ने बताया कि डिग्री की साइज भी छोटी की जाएगी(अमर उजाला,वाराणसी,26.1.11)।
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