राजधानी के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में एससी/एसटी संवर्ग में कोई मेधावी विद्यार्थी नहीं है और अगर मेधावी हैं तो सरकार को इसकी कोई कद्र नहीं है। यह बात खुद सरकारी आंकड़ों से निकलकर सामने आई है। सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत एससी/एसटी संवर्ग के मेधावी विद्यार्थियों को मिलने वाले पुरस्कार के लिए इस बार लखनऊ एवं मेरठ को एक पैसा भी नहीं मिला है जबकि प्रदेश के बाकी ६९ जिलों में ३.०४ करोड़ रुपये बांटे गए हैं।
जानकारी के अनुसार, प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में एससी/एसटी संवर्ग के मेधावी विद्यार्थियों को सर्व शिक्षा अभियान के इनोवेशन योजना के अंतर्गत पुरस्कृत किया जाता है। इसके तहत जनपद के प्रत्येक परिषदीय विद्यालय में सत्र परीक्षा के आधार पर कक्षा 3 से ५ में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले एससी/एसटी विद्यार्थी को पुरस्कार के रूप में एक स्कूल बैग एवं स्टेशनरी प्रदान की जाती है। इसी प्रकार इस संवर्ग के कक्षा १ एवं २ में सर्वाधिक अंक पाने वाले विद्यार्थी को स्टेशनरी देकर पुरस्कृत किया जाता है। स्कूल बैग एवं स्टेशनरी की खरीद ग्राम शिक्षा समिति द्वारा की जाती है और समारोह आयोजित कर विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया जाता है। मेधावियों को पुरस्कृत करने के लिए ६९ जिलों में ३०, ४८१३४० रुपए का बजट राज्य परियोजना निदेशालय द्वारा रिलीज किया गया है, लेकिन इसमें राजधानी के लगभग १५०० परिषदीय प्राथमिक स्कूलों के ७५०० एससी/ एसटी मेधावियों की मेधा को दरकिनार कर दिया गया है। राजधानी के लिए कुछ भी बजट न दिए जाने के चलते इन मेधावी बच्चों के हाथों मायूसी ही लगेगी। राज्य परियोजना निदेशालय के अधिकारी इसके लिए बजट न होने का हवाला दे रहे हैं। इस संदर्भ में बेसिक शिक्षा अधिकारी वीपी सिंह का कहना है कि हमें जिस मद में बजट मिलता है उसके अनुसार उसका क्रियान्वयन करते हैं। अब इनोवेशन के लिए बजट क्यों नहीं मिला यह मेरी जानकारी में नहीं है(अमर उजाला,लखनऊ,26.1.11)।
मूर्तियां व पार्क बनाने से पैसा बचे तो बच्चों को मिले न...
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