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27 जनवरी 2011

मध्यप्रदेशःबाहरी छात्रों के रुके रिजल्ट घोषित करने का निर्देश

मध्यप्रदेश की क्षेत्रवाद की नीति के कारण पिछले तीन सालों से रिजल्ट की बाट जोह रहे बाहरी राज्यों के बीएड छात्रों को सुप्रीमकोर्ट से बड़ी राहत मिल गयी है। सुप्रीमकोर्ट ने भोपाल के बरकतुल्ला विश्वविद्यालय को बाहरी राज्यों के बीएड छात्रों के रोके गये परीक्षा परिणाम एक माह के भीतर घोषित करने का निर्देश दिया है।
सुप्रीमकोर्ट के इस फैसले से विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले भोपाल के 12 निजी बीएड कालेजों के उन छात्रों को लाभ मिलेगा जो मध्यप्रदेश के निवासी नहीं हैं और कालेजों ने राज्य की नीति के विपरीत जाकर 2005-2006 में उन्हें प्रवेश दिया था।
न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी व न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की पीठ ने कालेजों के वकील जसबीर मलिक की दलीलें स्वीकार करते हुए विश्वविद्यालय को रिजल्ट घोषित करने का निर्देश दिया। पीठ ने याचिका में उठाया गया कानूनी मुद्द भविष्य में किसी अन्य मामले में निर्णीत करने के लिए छोड़ दिया है। इस मामले में मुख्य कानूनी मुद्दा सौ फीसदी सीटें राज्य के निवासियों के लिए आरक्षित करने का था। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की क्षेत्रीय लोगों के लिए सभी सीटें आरक्षित करने की नीति को सही ठहराया था। हाईकोर्ट के फैसले को कालेजों ने सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी थी। कालेजों की दलील थी कि सौ फीसदी आरक्षण नहीं किया जा सकता। याचिका पर सुनवाई के दौरान वर्ष 2007 में सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर बाहरी छात्रों को परीक्षा में शामिल होने की अनुमति मिल गई थी। लेकिन याचिका लंबित होने के कारण उनके रिजल्ट घोषित नहीं किये गये थे।
भोपाल के 12 निजी कालेज जिनमें गुरुकुल कालेज आफ एजूकेशन, ग्रीन वैली कालेज आफ एजूकेशन, गांधी नेशनल कालेज, इंदिरा गांधी महा विद्यालय, सेंटर फार ह्यूमन इनीशिएटिव एंड एजूकेशनल, ज्वाला शिक्षा समिति, अभिव्यक्ति शिक्षा समिति, आनंद इंस्टीटयूट आफ मैनेजमेंट भोपाल, इंद्रपुरी आशा शिक्षा समिति, अखिल भारतीय शिक्षा एवं प्रशिक्षण महा विद्यालय, जौहरी प्रोफेशनल कालेज और गणेश एजूकेशन सोसाइटी ने राज्य सरकार की क्षेत्रवाद की नीति के विपरीत जाकर खाली सीटों पर बाहरी छात्रों को प्रवेश दिया था। इन छात्रों को बाहरी होने के कारण सेंट्रल काउंसलिंग में शामिल होने को नहीं मिला था। विश्वविद्यालय ने इन्हें बीएड परीक्षा में भी शामिल होने की अनुमति नहीं दी थी। सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर वर्ष 2007 में उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति तो मिल गई थी, परन्तु उनके रिजल्ट रोक लिए गये थे(दैनिक जागरण संवाददाता,दिल्ली-भोपाल,27.1.11)।

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