गृह विज्ञान का नाम आते ही एक ऐसे विषय का भान होता है, जिससे घर को बनाने-संवारने में मदद मिलती है। यह विज्ञान भी है और कला भी। इसमें कई विधाओं का समागम है, जैसे रसायन विज्ञान, भौतिकी, जीव विज्ञान, स्वच्छता, अर्थशास्त्र, बाल विकास, समाजशास्त्र, पारिवारिक संबंध, सामुदायिक जीवन, कला, भोजन, पोषण, पहनावा, वस्त्र, गृह प्रबंधन इत्यादि। आधुनिक गृह विज्ञान हाउसकीपिंग के तमाम खास पहलुओं का मिला-जुला रूप है।
गृह विज्ञान का करियर आज की प्रगतिशील व आधुनिक खयालों वाली महिला के लिए आदर्श करियर है। उनके लिए बेहतर विकल्प है, जिनके पास सौंदर्य-बोध है, समकालीन कला की समझ है और आधुनिक हाउसकीपिंग को लेकर जिज्ञासा है। कोई भी गृह विज्ञान के पांच अंगों खाद्य एवं पोषण, संसाधन प्रबंधन, मानव विकास, वस्त्र विज्ञान और संचार में से किसी में भी विशेषज्ञता हासिल कर सकता है या सबकी सामान्य समझ हासिल कर सकता है।
खाद्य एवं पोषण में विशेषज्ञता हासिल करने वाले को खाद्य पदार्थों के पोषक तत्त्वों, खाद्य अपमिश्रण, आहार परामर्श, खाद्य संरक्षण, खाद्य प्रसंस्करण, स्वास्थ्य के प्रति सामुदायिक जागरुकता इत्यादि की विस्तृत जानकारी मिलती है। संसाधन प्रबंधन में प्रबंधन सिद्घांत व व्यवहार, ऊर्जा संसाधन प्रबंधन, उपभोक्ता जागरूकता, आवासीय व वाणिज्यिक भवनों की योजना व परिकल्पना इत्यादि की बारीकियों का पता चलता है। वहीं मानव विकास के बारे में पढ़ाई करने से मानव विकास के क्रमिक चरणों का पता चलता है। वस्त्र विज्ञान कपड़ों के बारे में समझ पैदा करता है, जिसमें टेक्सटाइल डिजाइनिंग से लेकर मर्केन्डाइजिंग तक की समझ विकसित होती है।
पाठ्य़क्रम व योग्यता
इसमें स्नातक (ऑनर्स) की डिग्री लेने के लिए न्यूनतम योग्यता 10+2 है, जिसमें विषय के रूप में पीसीबी का होना जरूरी है। पास कोर्स के लिए बारहवीं में वैकल्पिक विषय के रूप में गृह विज्ञान होना चाहिए। स्नातकोत्तर डिग्री या डिप्लोमा के लिए किसी भी विषय से स्नातक होना जरूरी है। उन लोगों को वरीयता दी जाती है, जिन्होंने गृह विज्ञान में स्नातक किया हो। जहां तक व्यक्तिगत गुणों का सवाल है तो अभ्यर्थी में वैज्ञानिक दृष्टि का होना जरूरी है, रचनात्मकता और सौंदर्यबोध होना चाहिए, संवाद कला में निपुण होना चाहिए, घर का काम करने के प्रति स्वाभाविक रुझान होना चाहिए।
कहां हैं अवसर
जिन्होंने गृह विज्ञान से पढ़ाई की है, उन्हें प्रोडक्शन, पर्यटन, सेवा क्षेत्र, अध्यापन, तकनीकी या सेल्स में अवसर मिल सकते हैं। स्वरोजगार भी एक विकल्प है। इनके अलावा गैर-सरकारी संगठनों में भी अवसर मिलते हैं।
प्रोडक्शन इंडस्ट्री : इसमें शामिल है खाद्य संरक्षण, ड्रेस मेकिंग, स्पेशलाइज्ड कुकिंग, टेक्सटाइल डिजाइनिंग, फैशन डिजाइनिंग। इनके अलावा फूड इंडस्ट्री में या होटल में भी काम मिल सकता है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग या खाद्य संरक्षण विभागों में बतौर फूड एनालिस्ट, क्वालिटी एनालिस्ट, क्वालिटी कंट्रोलर, क्वालिटी मैनेजर की नौकरी मिल सकती है।
पर्यटन व सेवा क्षेत्र : होटल व हॉस्पिटेलिटी मैनेजमेंट सर्विसेज में अवसर हैं। अस्पतालों, प्रसूति गृहों, स्लिमिंग सेंटर्स या बोर्डिग स्कूलों में रोजगार के अवसर खुले हैं। सर्विस इंडस्ट्री में गृह विज्ञान स्नातकों की भारी मांग है।
शोध एवं अध्यापन : फूड साइंटिस्ट, रिसर्च एसोसिएट्स, अध्यापक व व्याख्याता के रूप में भी करियर विकल्प मौजूद हैं। उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों व कॉलेजों में अध्यापन का काम किया जा सकता है।
सेल्स एवं टेक्निकल : खाद्य उत्पादों, बेबी फूड्स, गारमेंट्स की सेल्स लाइन में भी काम मिल सकता है। इसके अलावा फूड एनालिस्ट, फूड साइंटिस्ट, डेमोंस्ट्रेटर्स के रूप में भी अवसरों की कमी नहीं है।
क्या है कमाई
गृह विज्ञान की पढ़ाई करने वाले को न्यूनतम 10,000 रुपये की नौकरी मिल सकती है। सारा दारोमदार अभ्यर्थी की व्यक्तिगत दक्षता पर है कि वह खुद को किस तरह पेश करता है। अनुभव के साथ-साथ वेतन में भी बढ़ोत्तरी होती है।
(फजले गुफरान,हिंदुस्तान,दिल्ली,5.1.11)
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