उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग-राज्य/प्रवर अधीनस्थ सेवा (यूपी पीसीएस-2008) में गाजीपुर जिले केनिवासी प्रमोद कुमार यादव ने डिप्टी एसपी पद के लिए 19वीं रैंक हासिल की। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्राचीन इतिहास में स्नातकोत्तर प्रमोद को छठी बार में सफलता हाथ लगी। इससे पहले प्रमोद का चयन मार्केटिंग इंस्पेक्टर फूड एवं सप्लाई (2004) में हुआ था। पेश हैं, प्रमोद से हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
सिविल सेवा की ओर रुझान कैसे हुआ?
मैं जिस परिवेश से आया हूं, वहां सिविल सेवा के प्रति खासा क्रेज है। इंटरमीडिएट के बाद जब 1992 में पढ़ने केलिए इलाहाबाद आया तो मेरे आसपास सिविल सर्विस की तैयारी करने वालों की एक बड़ी जमात रही। मुझे भी लगा कि इसी परीक्षा केलिए तैयारी करनी चाहिए।
देरी से सफलता मिलने की कोई खास वजह?
पहले विषय समझने में काफी दिक्कत हुई। जब विषय पर पकड़ बनी, तब साक्षात्कार तक पहुंचने लगा, लेकिन सफलता छठे प्रयास में मिली। इस दौरान मेरे मां-बाप और बड़े भाई प्रेरणा स्रोत रहे।
क्या यूपीपीसीएस के अलावा अन्य किसी परीक्षा के लिए भी प्रयास किया?
यूपी के अलावा संघ लोक सेवा आयोग, मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड की प्रतियोगी परीक्षाओं में भी बैठा। कुछेक में इंटरव्यू तक पहुंचा भी, लेकिन सफलता नहीं मिली।
अध्ययन के लिए किस प्रकार की रणनीति अपनाई?
अध्ययन के लिए शुरू से ही मैंने एनसीईआरटी बुक्स को अपना आधार बनाया। इसके अलावा अखबारों और पत्रिकाओं पर भी गहरी नजर रखी। अमर उजाला का मैं नियमित पाठक रहा, जिसमें ज्वलंत मुद्दों के अलावा शोधपरक सामग्री भी समय-समय पर पढ़ने को मिली।
इंटरव्यू के लिए कोई खास तैयारी?
जब कई बार साक्षात्कार देने के बाद निराश होने लगा तो मैंने कोचिंग का सहारा लिया। फिर ग्रुप डिस्कशन में हिस्सा लेकर अपने आत्मविश्वास को और मजबूत किया।
नए लोगों के लिए क्या संदेश देना चाहेंगे?
अपनी क्षमताओं कोपहचानकर धैर्य के साथ तैयारी करें। सफलता जरूर मिलेगी। अगर मन में निराशा हो तो अब्राहम लिंकन, थामस अल्वा एडिसन जैसे लोगों से प्रेरणा लें। असफलताओं केबावजूद इन्होंने सफल होकर खुद को सिद्ध किया(महेश यादव,अमर उजाला,19.1.11)।
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