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06 जनवरी 2011

यूपीःकॉलेजों के लिए दोबारा एनओसी की बाध्यता खत्म

भविष्य में कॉलेजों को बीए, बीएससी, बीकॉम, एमए व एमकॉम के अतिरिक्त विषयों के कोर्स और संकायों की संबद्धता हासिल करने के लिए शासन से दोबारा अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। स्थापित महाविद्यालयों में नये विषयों और संकायों के लिए फिर से एनओसी देने के प्रावधान को शासन समाप्त करने पर विचार कर रहा है। वर्तमान में नया कॉलेज खोलने के लिए शासन से एनओसी हासिल करनी पड़ती है। शासन ने एनओसी जारी करने का अधिकार मंडलायुक्त को सौंप दिया है। एनओसी जारी होने के बाद ही शासन कॉलेज को उसमें पढ़ाये जाने वाले विषय व संकाय संचालन के लिए संबद्धता की पूर्वानुमति देता है। मौजूदा व्यवस्था के तहत यदि किसी स्थापित कॉलेज को अतिरिक्त विषय या संकाय संचालित करने के लिए संबद्धता हासिल करने से पहले इस बारे में फिर से एनओसी हासिल करनी पड़ती है। मंडलायुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति अनापत्ति प्रमाणपत्र के प्रस्ताव पर विचार करते समय प्रस्तावित कॉलेज की समिति/ट्रस्ट के पंजीकरण, उसकी आर्थिक स्थिति का आंकलन करने के लिए उसके बैंक खाते में जमा धनराशि, भूमि की उपलब्धता, आदि का परीक्षण करती है। समिति की सिफारिश के आधार पर मंडलायुक्त कॉलेज को अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी करते हैं। प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा मनोज कुमार ने बताया कि शासन स्तर पर अब यह विचार हो रहा है कि कॉलेज को पहली बार एनओसी जारी करते समय यदि इस बात की पुष्टि कर ली जाती है कि वह अतिरिक्त विषयों व संकायों के संचालन के लिए मानक पूरे करता है, तो दोबारा संबद्धता हासिल करने के लिए उसे फिर से एनओसी प्राप्त करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए(दैनिक जागरण,लखनऊ,6.1.11)।

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