देश के कुछ विश्वविद्यालयों में अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक लघु क्रांति आ रही है और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की मदद से छात्र अब छोटे उपग्रह बनाने लगे हैं।
बड़े उपग्रहों को ले जाने वाले इसरो के रॉकेट इन छोटे उपग्रहों को भी ब्रह्मांड में लेकर जाते हैं। इसरो की लघु उपग्रह परियोजना के निदेशक डीवीए राघव मूर्ति ने बताया कि पिछले पांच सालों से हम विश्वविद्यालय के छात्रों को उपग्रह बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। इससे उन्हें इस क्षेत्र में सीखने और समझने का अवसर मिलता है और हमें अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए मानव संसाधन तैयार करने में मदद मिलती है।
98वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस की मेजबानी करने वाला एसआरएम विश्वविद्यालय इस वर्ष उपग्रह भेजने वाला पहला संस्थान होगा। पिछले साल इसरो ने बेंगलुरु और हैदराबाद के इंजीनियरिंग कॉलेजों के 35 छात्रों द्वारा तैयार लघु उपग्रह स्टुडसैट प्रक्षेपित किया था। उससे पहले एजेंसी ने छात्रों द्वारा ही तैयार अनुसैट भेजा था।
फिलहाल आईआईटी कानपुर, आईआईटी मुंबई, भारतीय अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी संस्थान, सत्यभामा संस्थान एवं वेल्लूर प्रौद्योगिकी संस्थान छोटे उपग्रह बना रहे हैं।
(लाइव हिंदुस्तान.कॉम,७.१.११ में चेन्नई की खबर)
(लाइव हिंदुस्तान.कॉम,७.१.११ में चेन्नई की खबर)
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