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27 जनवरी 2011

नौकरियों की बहार

वर्ष 2011 क्रिकेट के लिए सुर्खियों का साल है। वर्ल्ड कप और उसके बाद आईपीएल पर क्रिकेट प्रेमियों के साथ-साथ बाजार की नजरें गड़ी हैं। जाहिर है इन महाआयोजनों में युवाओं के लिए फुल-टाइम से लेकर पार्ट टाइम नौकरियों के अवसर उत्पन्न होंगे। जानें आपके लिए कहां और कौन से अवसर हो सकते हैं।

वर्ल्ड कप क्रिकेट के महाकुंभ की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। इसी के साथ शुरू हो चुके हैं वो तमाम इंतजाम और गतिविधियां, जो 19 फरवरी से 2 अप्रैल तक चलने वाली इस प्रतियोगिता के दौरान होंगी। मेगा स्पोर्ट्स आयोजन आज महज खेल आयोजन नहीं रहते, बल्कि ये बाजार से जुड़े होते हैं, ब्रांड्स के लिए अहम होते हैं और मार्केटिंग के लिए महत्वपूर्ण। क्रिकेट बहुत पॉपुलर स्पोर्ट है, जबरदस्त फैन फॉलोइंग है, बल्कि यों कहिए कि क्रिकेट वो खेल है, जो देश के मूड को संचालित करने लगा है, लाइफ स्टाइल को संचालित करता है, सोशल इम्पैक्ट में भी एक खास भूमिका अदा करता है। बाजार को हमेशा ऐसे ही पापुलर माध्यमों की तलाश रहती है। वर्ल्ड कप क्रिकेट प्रतियोगिता महज खेल प्रतियोगिता नहीं है। इससे बहुत से ऐसे क्षेत्र जुड़े हैं जो बाजार के तमाम ब्रांड्स भी हैं, टूरिज्म है, हास्पिलिटी है, इवेंट मैनेजमेंट है और प्रचार माध्यम भी। जाहिर है जब इतने ढेर सारे अलग-अलग क्षेत्रों पर सकारात्मक असर पड़ना है तो उसी के अनुसार इनमें नौकरियों के अवसर भी सृजित होंगे। जिनमें स्पेशलाइज्ड प्रोफेशनल्स से लेकर कालेजों में पढ़ाई कर रहे युवाओं तक की जरूरत पड़ेगी। करियर विशेषज्ञों की मानें तो वर्ल्ड कप के दौरान अस्थाई तौर पर हजारों में जॉब्स क्रिएट होंगे, जो इवेंट मैनेजमेंट, मार्केटिंग, ब्रांड प्रोमोशन, क्रिएटीविटी एंड कैंपेनिंग, टूर पैकेजिंग, होटल्स, स्टेडियम मैनेजमेंट आदि क्षेत्रों में होंगे।


ब्रांड्स और रिटेलर्स वर्ल्ड कप को भुनाने के लिए कमर कस रहे हैं। तमाम कंपनियां क्रिकेट से संबंधित मर्चेटाइजिंग में जुट गई हैं। यहां ये बताना जरूरी है कि भारत में स्पोर्ट्स मर्चेटाइजिंग का बाजार फिलहाल करीब ढाई हजार करोड़ रुपयों का है, जिसमें से 45 फीसदी हिस्सा खेल से जुड़े परिधानों, सामानों और दूसरी चीजों का है, जो लगातार बढ़ रहा है। आप खुद सोच सकते हैं कि किस तरह महज कुछ ही बरसों में नाइकी, लाटो, रिबोक जैसे स्पोर्ट्स वीयर ब्रांड्स युवा वर्ग की बड़ी पसंद बनकर उभरे हैं। वर्ल्ड कप के मद्देनजर ये कंपनियां अपने प्रोड्क्ट्स की बिक्री में उछाल की पूरी संभावनाएं देख रही हैं। केवल वही क्यों, हर कंपनी ही यही मानकर चल रही है, चाहे वो कंज्यूमर गुड्स से जुड़ी हो या फिर इलैक्ट्रानिक गुड्स आइटम्स से। लिहाजा, सभी जाने-माने ब्रांड्स में इन दिनों व्यापक तौर पर युवाओं की भर्ती का दौर चल रहा है, जो उनकी मार्केटिंग कर सकें। खासकर मार्केटिंग के आंकड़े बताते हैं कि इस महीने में बाजार के दजर्नभर से ज्यादा ब्रांड्स फ्रेश एमबीए ग्रेजुएट या ग्रेजुएट को लेने के लिए कॉलेज टू कॉलेज प्लेसमेंट अभियान छेड़ने वाले हैं या वाकिंग इंटरव्यू को अंजाम दे रहे हैं। दिल्ली की एक आला प्लेसमेंट कंपनी की आला अधिकारी मृणालिनी बताती हैं कि अचानक पिछले महीने से अस्थाई तौर पर युवाओं को नौकरी पर रखने की डिमांड बढ़ गई है, इनमें से अधिकांश नौकरियां उन कंपनियों में दी जा रही हैं, जो वर्ल्ड कप के आधिकारिक स्पॉन्सर्स हैं या इस मौके पर अपने उत्पाद की खास रेंज लांच करने में जुटे हैं, उन्हें ऐसे युवा चाहिए जिनका कम्युनिकेशन लेवल अच्छा हो और मार्केटिंग के नये तौर-तरीकों में उनका साथ दे सकें, लेकिन यहां एमबीए ग्रेजुएट्स की भी काफी गुंजाइश है। यहां एक तथ्य काफी अहम है जो ये है कि बहुत ढेर सारी कंपनियों को उम्मीद है कि मार्च का महीना अचानक वर्ल्ड कप के चलते उनकी बिक्री में खासी उछाल देगा, जिसके चलते साल की इस आखिरी तिमाही में उनकी सेल्स फीगर 50 फीसदी तक बढ़ सकती हैं। एलजी, हीरो होंडा, वोडाफोन, कैडबरी, फिलिप्स जैसे ब्रांड्स का तो कुछ ऐसा ही मानना है।

इसी दौरान एड्स कैंपेनिंग, ब्रांड प्रोमोशन पर भी काफी पैसा खर्च होना है। ओवरऑल बाजार का वर्ल्ड कप के दौरान एड फंड करीब डेढ़ हजार करोड़ रुपयों का है। देश की सभी एड कंपनियां इन दिनों जबरदस्त व्यस्त हैं। शायद ही कोई ठीक-ठाक एड एंड क्रिएटिव एजेंसी हो, जहां इन दिनों पर काम की गहमागहमी न देखे। ओवरटाइम, काम का बोझ - लिहाजा ये भी एक ऐसी फील्ड है, जहां वर्ल्ड कप के दौरान और उससे भी आगे आईपीएल तक काफी बिजी दिन चल रहे हैं। उन्हें ऐसे में स्टाफ और खासकर स्किल्ड स्टाफ बढ़ाने की जरूरत महसूस हो रही है, जिसमें क्रिएटिव राइटर से लेकर आर्टिस्ट, विजुअलाइजर, टैक्निकल स्टाफ सब कुछ है - प्रोफेशनल युवाओं के लिए ये फील्ड भी काफी हॉट है। अगर आपकी नेटवर्किग है, यहां के सीनियर्स से जान पहचान है, तो अस्थाई तौर पर यहां काम पाने वालों की इन दिनों कोई कमी नहीं।

कोई एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों की संख्या में बड़ी बड़ी कंपनियों के प्रोड्क्ट्स लांच होने हैं। ऐसे में इनसे जुड़े कालसेंटर के जरिए टेलीमार्केटिंग में भी इजाफा होने वाला है। सबसे ज्यादा युवाओं की मांग इवेंट मैनेजमेंट कंपनीज को होगी। दिल्ली की सभी बड़ी इवेंट मैनेजमेंट कंपनियां 43 दिनों के वर्ल्ड कप के दौरान अलग अलग तरह के शो को अंजाम देंगी। औसतन टाप इवेंट मैनेजमेंट कंपनीज के पास अकेले इतने क्लाइंट्स की डिमांड है, कि वो पूरा करने के लिए उन्हें तमाम युवाओं की सेवाएं लेनी होंगी, जो अस्थाई तौर पर ही होगी, लेकिन युवाओं के अनुभव और हल्की फुल्की कमाई के लिहाज से बुरा नहीं होगा। शोक्राफ्ट इवेंट मैनेजमेंट कंपनी के प्रमुख ललित गट्टानी कहते हैं- वर्ल्ड कप और इसके बाद आईपीएल के दौरान काफी लोगों की गुंजाइश है और ऐसा हर बड़े उस शहर में होगी, जहां मैच हो रहे हैं या फिर वो शहर बाजार के लिहाज से खासे महत्वपूर्ण हैं। एक अनुमान के अनुसार अगले 70 दिनों में पांच हजार से लेकर दस हजार युवाओं की जरूरत देश की बडी से लेकर छोटी इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों को अस्थाई तौर पर पड़ेगी(रत्ना श्रीवास्तव,हिंदुस्तान,दिल्ली,24.1.11)।

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