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26 जनवरी 2011

बोर्ड में सफलता की कुंजी व्यग्रता नहीं

तैयारी के लिहाज से परीक्षा से पहले के कुछ दिन काफी अहम होते हैं। लेकिन अकसर होता यह है कि छात्र को यह लगने लगता है कि शायद बाकी बचे समय में उसकी रिवीजन पूरी नहीं हो पाएगी या फिर दोस्तों की तैयारी से संबंधित बातें उन्हें परेशान करने लगती हैं। ये तमाम बातें उनकी एकाग्रता के लिए खतरनाक साबित होती हैं। पर अच्छे नंबरों के लिए एकाग्रता जरूरी है। कैसे बनाए रखें इसे, बता रही हैं नमिता सिंहः

पल्लवी सिंह को इस बार बारहवीं बोर्ड परीक्षा में बैठना है। उनकी तैयारी भी सेलेबस के हिसाब से ठीक है। फिर भी वह परीक्षा को लेकर परेशान हैं। कारण पूछे जाने पर बताती हैं कि ‘तैयारी तो है, लेकिन पिछले कुछ सालों के प्रश्नों को देख कर यही लगता है कि कुछ कमी अभी भी रह गई है। अब समय भी कम है। ऐसे में नया टॉपिक लेकर भी नहीं उलझ सकते। साथ ही दूसरे बच्चों की बातों से मन में नकारात्मक भाव आते हैं।’ परीक्षा के संदर्भ में यह परेशानी अकेले पल्लवी के साथ नहीं है। ऐसे कई छात्र हैं, जो इस व्यग्रता के भंवर जाल में उलझे हुए हैं।

बोर्ड परीक्षा शुरू होने में अभी एक माह से भी ज्यादा समय शेष है। जैसे-जैसे परीक्षा की घड़ियां नजदीक आती जा रही हैं, वैसे-वैसे छात्रों की बेचैनी भी बढ़ती जा रही है। कुछ अपने सेलेबस को लेकर उलझे हुए हैं तो कुछ समय का रोना रो रहे हैं। साथी छात्रों की तैयारी भी उनकी परेशानी का कारण बनी हुई है। इस बेचैनी का प्रतिकूल असर उनकी तैयारी पर पड़ रहा है।

कई बार ऐसा भी होता है कि किसी विषय का पूरा ब्योरा याद होते हुए भी छात्र को व्यग्रता के कारण जरूरी पॉइंट्स याद नहीं आता। मन-मस्तिष्क पर जोर देने के बावजूद वे उसे याद करने में कामयाब नहीं हो पाते। ये सारी दिक्कतें एकाग्रता न हो पाने की वजह से होती हैं। छात्र इसके चलते अपने लक्ष्य से भटकने लगते हैं।

स्पीड को लेकर न घबराएं
कुछ छात्रों की परेशानी पढ़ाई की स्पीड को लेकर होती है, जिसे वे चाह कर भी हल नहीं कर पाते। गिने-चुने दिन ही बचे हैं, ऐसे में स्पीड नहीं बढ़ी तो फिर कब बढ़ेगी? लेकिन स्पीड बढ़ाने की हड़बड़ाहट में वे शेडय़ूल से हट कर काम करने लगते हैं। इससे पूरा टाइम टेबल और प्लानिंग गड़बड़ हो जाती है। स्पीड भी तभी हासिल हो सकती है, जब आप एक निश्चित प्लानिंग के तहत आगे बढ़ेंगे और अपने लक्ष्य को लेकर पूरी तरह से सचेत होंगे।

मन के जीते जीत

यदि आपका मनोबल गिरा हुआ है तो आप किसी भी कीमत पर अपनी एकाग्रता बरकरार नहीं रख सकते। खुद पर भरोसा रखें तथा अपने लक्ष्य को कई टुकड़ों में बांट लें। जब एक पूरा हो जाए तो दूसरे की कोशिश में लग जाएं। जैसे-जैसे आप आगे बढ़ेंगे आपका आत्मविश्वास व एकाग्रता बढ़ती जाएगी। एकाग्रता बढ़ने से पढ़ाई की गति में भी तेजी आएगी। इसके विपरीत अगर आप पहले ही हार मान लेंगे तो आपके सफल होने के आधे अवसर उसी समय खत्म हो जाएंगे। तभी तो कहा गया है कि ‘मन के हारे हार है और मन के जीते जीत’।

किसी अन्य से तुलना न करें
अक्सर छात्र अपनी तैयारी अथवा सामर्थ्य को दरकिनार कर कोचिंग/ट्य़ूशन में साथ पढ़ने वाले साथियों की बातों में आ जाते हैं। साथियों की बातें सुन कर उनको लगता है कि मेरी तो तैयारी अभी हुई ही नहीं है। नतीजा यह होता है कि उनकी बेचैनी बढ़ जाती है तथा वे इधर-उधर की बातें ज्यादा सोचने लगते हैं। छात्र फालतू बातें सुनने की बजाय अपनी तैयारी पर फोकस करें। यदि कहीं समस्या आ रही है तो उसे टीचर, पेरेंट्स अथवा सीनियर छात्रों की मदद से दूर कर लें। ऐसा नहीं है कि पड़ोसी का बच्चा दस घंटे पढ़ रहा है तो आपको भी दस घंटे ही पढ़ना है।

कठिन विषयों का समय बढ़ाएं
इस दौर तक आते-आते छात्रों को यह पता चल जाता है कि कौन सा सब्जेक्ट उन्हें परेशानी में डाल सकता है। इसे नजरअंदाज न करें। उस पर विशेष अटेंशन दें। छात्र ने जो टाइम मैनेजमेंट या प्लानिंग की है, उसमें ऐसे सब्जेक्ट पर थोड़ा सा समय बढ़ा दें, लेकिन बाकी चीजें यथावत बनी रहें। जो सब्जेक्ट अच्छे से तैयार है, उसमें से थोड़े समय की कटौती कर कठिन विषयों पर खर्च करें। इससे न सिर्फ विभिन्न विषयों की तैयारी के बीच संतुलन बना रहेगा, बल्कि मार्क्स के लिहाज से भी यह फायदेमंद साबित होगा।

सैंपल पेपर से मिलेगी मदद
प्रश्न पत्रों की कठिनता का स्तर हर साल करीब एक जैसा ही रहता है। उनकी संरचना सैंपल पेपरों से स्पष्ट हो जाती है, इसलिए छात्र जितना अधिक सैंपल पेपर हल करेंगे, उतना ही उनको पेपर का पैटर्न पता चलेगा। साथ ही उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। अब तो सीबीएसई सहित यूपी बोर्ड ने भी अपने मॉडल पेपर जारी कर दिए हैं। उनकी सहायता भी छात्र ले सकते हैं।

परेशानी कल पर न टालें
कोई भी परेशानी कल तक के लिए न टालें। इससे आप पर दबाव बढ़ेगा और फिर बेचैनी स्वाभाविक है। यदि आप उन्हें दूर करने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं तो काउंसलर, मनोचिकित्सक या फिर पेरेंट्स की सहायता लें। इन दिनों अधिकांश छात्र ‘भूलने की बीमारी’ के डर से ग्रसित रहते हैं। यह डर आधारहीन है, क्योंकि कंपलीट ब्लैकआउट की समस्या दस लाख में से केवल एक के ही साथ होती है।

व्यग्रता के लक्षण
नींद न आना
पढ़ाई के प्रति एकाग्र न होना
बार-बार विषय बदलना
भूख न लगना
परिजनों से दूर भागना
नकारात्मक सोच पालना
बात-बात में रिएक्ट करना
भूलने की शिकायत

क्या करें
आत्मविश्वास न गिरने दें
क्षमता का भरपूर उपयोग करें
रिजल्ट को लेकर बेफिक्र रहें
रिवीजन करते रहें
लिखने का भी अभ्यास

क्या न करें
आधे-अधूरे अध्ययन से बचें
किसी की बातों में न आएं
कोई काम कल पर न टालें
दूसरों की तैयारी से न घबराएं
कम्युनिकेशन गैप न बनाएं

जो विषय चुनें, उसे खत्म भी करें
-अनीता शर्मा, प्रिंसिपल, एसडी पब्लिक स्कूल, पीतमपुरा, दिल्ली

व्यग्रता की स्थिति से छात्र कैसे बाहर निकलें?
यह परेशानी ज्यादातर उन छात्रों को होती है, जो तैयारी अच्छे से नहीं कर पाते तथा अंतिम समय में शॉर्ट कट तलाशते हैं। चूंकि अब समय कम है, इसलिए छात्र वेटेज के हिसाब से पढ़ना शुरू करें। समय निर्धारित करें कि दो दिन में उक्त विषय को आपको खत्म कर देना है। फिर आगे का टॉपिक चुनें। उस टॉपिक को पहले खत्म करें, जिसके बारे में लगता है कि आप उसे अच्छे से कर सकते हैं।

किस तरह की सावधानी परेशानी से बचा सकती है?
ज्यादातर दिक्कतें कोचिंग सेंटर या ट्य़ूशन में दूसरे छात्रों की बातें सुन कर आती हैं। ऐसी बातों को नजरअंदाज करें तथा ज्यादा फोन कॉल अटेंड न करें। स्कूल के टैस्ट पेपर हल करना न भूलें।

अपेक्षित तैयारी न कर पाने वाले छात्र क्या करें?
जो छात्र अभी तक सीरियस नहीं हुए हैं, उन्हें भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। सबसे पहले अपने लिए रियलिस्टिक गोल तय करें और अपने लक्ष्यों को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांट लें। इस क्रम में वे वेटेज के हिसाब से 40 परसेंट सेलेबस तय करें। उसे खत्म करने के बाद 20 परसेंट का लक्ष्य रखें। लेकिन खुद से यह दृढ़ निश्चय करें कि जो भी टॉपिक करना है, उसे अच्छे से करना है।

शेष समय का उपयोग छात्र कैसे करें?
प्री बोर्ड के पेपर, मॉडल अथवा सैंपल पेपर लगातार हल करें। इससे हर वैरायटी कवर हो जाएगी।

एकाग्रता बढ़ाने का क्या कोई मूल मंत्र है?
अपना मनोबल न गिरने दें तथा खुद पर भरोसा रखें। तैयारी के संदर्भ में अपने लिए कोई बहुत बड़ा लक्ष्य तय न करें। आजकल न्यूरो लिंग्विस्टिक साइंस के जरिए हैंडराइटिंग का एनालिसिस किया जाता है। उनसे शब्द लिखवा कर एकाग्रता की सीमा को मापा जाता है। फिर उन्हें जरूरी टिप्स दिए जाते हैं। बच्चों पर यह प्रयोग सफल रहा है।
(नमिता सिंह,हिंदुस्तान,दिल्ली,25.1.11)

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