अच्छा पैसा, समाज में प्रतिष्ठा और बेशुमार अवसरों वाले डॉक्टरी के इस पेशे को अपनाने के लिए आपने एआईपीएमटी (ऑल इंडिया प्री-मेडिकल/प्री डेंटल एंट्रेस एग्जामिनेशन, 2011) का फॉर्म तो भर ही दिया होगा। अब वक्त है तैयारी में लग जाने का। हालांकि यूपी-सीपीएमटी के फॉर्म अभी नहीं नहीं निकले हैं, लेकिन एआईपीएमटी के साथ-साथ उसकी तैयारी भी कर सकते हैं, क्योंकि दोनों परीक्षाओं के सिलेबस में काफी समानताएं हैं। आपको अगले तीन से चार महीनों की रणनीति सोच-समझकर बनानी होगी, जिससे 12वीं बोर्ड के साथ-साथ एआईपीएमटी, यूपी-सीपीएमटी व अन्य मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी भी हो जाए। सीबीएसई आंध्र प्रदेश और जम्मू-कश्मीर राज्यों को छोड़कर देश के बाकी मेडिकल व डेंटल कॉलेजों की कुल सीटों के 15 फीसदी स्थानों के लिए ऑल इंडिया स्तर पर एआईपीएमटीप्रवेश परीक्षा आयोजित करता है। दो चरणों (प्रारंभिक और मुख्य) में होने वाली यह परीक्षा वस्तुनिष्ठ प्रकार की होती है। जानते हैं इस परीक्षा की रणनीति के बारे में।
फिजिक्स
मेडिकल कॉलेज की प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करने वाले बहुत से छात्र-छात्राओं को फिजिक्स काफी मुश्किल विषय लगता है, लेकिन ऐसा नहीं है। योजनाबद्ध तरीके से तैयारी करने से यह सबसे रुचिकर विषय बन सकता है। प्रारंभिक व मुख्य दोनों ही परीक्षाओं में भौतिक विज्ञान की तैयारी के लिए सबसे पहले जरूरी फॉर्मूले याद करें और फिर इन पर आधारित प्रश्नों को सॉल्व करें। विगत वर्षों के प्रश्न-पत्रों के आधार पर कहा जा सकता है कि इलेक्ट्रॉनिक्स व मॉडर्न फिजिक्स, मैकेनिक्स, इलेक्ट्रोस्टैटिक्स और मैग्नेटिज्म सबसे महत्वपूर्ण चैप्टर हैं और इनसे अधिक सवाल पूछे जाते हैं। हीट, लाइट और साउंड से भी काफी सवाल पूछे जाते हैं। सामान्य तौर पर परीक्षार्थी मैकेनिक्स पर ज्यादा ध्यान देते हैं। इस प्रवृत्ति से बचना चाहिए तथा अन्य चैप्टर पर भी बराबर ध्यान देना चाहिए।
केमिस्ट्री
इसमें फिजिकल, ऑर्गेनिक और इनआर्गेनिक, तीनों भाग से प्रश्न पूछे जाते हैं। ऐसे में किसी भी ब्रांच को छोड़ें नहीं। विशेष ध्यान दिए जाने वाले चैप्टर इलेक्ट्रोकेमिस्ट्री, को-ऑर्डिनेशन केमिस्ट्री, थर्माेडायनामिक्स, सॉल्यूशन और केमिकल बॉन्डिंग हैं। सामान्य रूप से ध्यान देने योग्य चैप्टर्स हैं - केमिकल काइनेटिक्स, केमिकल इक्यूलिब्रियम, रीएक्शन मैकेनिज्म, एरोमैटिक कम्पाउंड, आयनिक इक्वीलिब्रियम और पी-ब्लॉक एलीमेंट।
बायोलॉजी
मुख्य परीक्षा में यदि कई छात्र बराबर अंक पा जाते हैं, तो मेरिट का निर्धारण बायोलॉजी में मिले अंकों के आधार पर होता है। ऐसे में इस परीक्षा में जीव विज्ञान का महत्व और बढ़ जाता है। प्रारंभिक परीक्षा में जीव विज्ञान (जंतु विज्ञान व वनस्पति विज्ञान) से 100 प्रश्न आते हैं। संबंधित विषय-वस्तु स्पष्ट रूप से याद रहना जरूरी है। प्रश्न पूरे पाठ्यक्रम से पूछे जाते हैं। अतः कोई भी चैप्टर छोड़ना घातक हो सकता है। जिन चैप्टर्स पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, उनमें प्लांट व एनिमल फिजियोलॉजी, मॉलीक्यूलर बायोलॉजी व जेनेटिक इंजीनियरिंग, इकोलॉजी व एनवॉयरमेंट और एप्लीकेशन ऑफ बायोलॉजी प्रमुख हैं। ओरीजिन एवं इवॉल्यूशन ऑफ लाइफ, एनिमल और प्लांट टेक्सोनॉमी और क्लासिकल जेनेटिक्स से भी काफी सवाल पूछे जाते हैं।
एआईपीएमटी व यूपी-सीपीएमटी
एआईपीएमटी और यूपी-सीपीएमटी में बायोलॉजी के पाठ्यक्रम में थोड़ी भिन्नता है। एआईपीएमटी में ह्यूमन के विषय में तथा एडवांस्ड ब्रांचेज पर ज्यादा जोर होता है, जबकि यूपी-सीपीएमटी में शशक (खरगोश) तथा अन्य लोअर एनिमल्स पाठ्यक्रम में शामिल हैं। एएफएमसी, बीएचयू-पीएमटी के पाठ्यक्रमों में भी एक-दो को छोड़कर ज्यादातर चैप्टर समान हैं। यूपी-सीपीएमटी में जंतु विज्ञान के 50 तथा वनस्पति विज्ञान के भी 50 प्रश्न पूछे जाते हैं। लोअर प्लेनेट्स और लोअर एनिमल्स से ज्यादातर सवाल पूछे जाते हैं, जबकि एडवांस्ड ब्रांच पर ज्यादा जोर नहीं दिया जाता। इसके लिए आर.के. पिल्लई, रमेश गुप्ता व एम.पी. कौशिक की पुस्तकें उपयोगी हैं।
टाइम मैनेजमेंट है जरूरी
प्रारंभिक और मुख्य, दोनों ही परीक्षाओं में सबसे महत्वपूर्ण है समय प्रबंधन। प्रारंभिक परीक्षा में 200 प्रश्न (50 भौतिकी, 50 रसायन, 100 जीव विज्ञान) को हल करने के लिए केवल 180 मिनट ही मिलते हैं। अर्थात एक प्रश्न पढ़ने, समझने, हल करने तथा कंप्यूटर शीट पर गोला बनाने के लिए एक मिनट से भी कम का समय मिलता है। ऐसे में जरूरी है कि कम समय लेने वाले प्रश्नों को पहले हल करें। इसके बाद अधिक समय लेने वाले प्रश्नों पर ध्यान दें। अंतिम में जटिल प्रश्नों को छूएं। तैयारी के दौरान खुद को परखने के लिए पहले सभी विषयों के एक-एक चैप्टर (यूनिट) का टेस्ट दें। फिर कई चैप्टर्स का एक टेस्ट दें (मेगाटेस्ट)। आखिर में पूरे पाठ्यक्रम का टेस्ट दें। इन प्रैक्टिस टेस्ट को देने से आपको सही समय प्रबंधन आ जाएगा।
12वीं के छात्रों पर दोहरा दबाव
इस वर्ष 12वीं बोर्ड परीक्षा में शामिल होने जा रहे छात्रों को अगर बोर्ड और प्रवेश परीक्षा, दोनों कसौटियों पर खरा उतरना है, तो अगले तीन महीनों में खास रणनीति बनानी होगी। वैसे ज्यादा ध्यान तो उन्हें बोर्ड परीक्षा पर ही देना चाहिए, क्योंकि 12वीं में अच्छे अंक आना प्रवेश परीक्षा और कैरियर के लिहाज से बेहद जरूरी है। लेकिन ध्यान रखें कि ऑल इंडिया-पीएमटी का सिलेबस बोर्ड के पाठ्यक्रम को ध्यान में रखकर ही तैयार किया गया है। इसलिए 12वीं के सभी चैप्टर महत्वपूर्ण हैं। बेसिक्स दुरुस्त करने के लिए एनसीईआरटी की पुस्तकें लाभदायक हो सकती हैं।
अन्य प्रवेश परीक्षाएं
एमबीबीएस, बीडीएस, बीएएमएस और बी.फॉर्मा. कोर्सेज में दाखिले के लिए होने वाली प्रतिष्ठित बीएचयू-पीएमटी परीक्षा के लिए भी आवेदन मांगे गए हैं, जिसे जमा कराने की अंतिम तिथि 21 फरवरी, 2011 है। इसके लिए इंग्लिश, फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी विषयों से 12वीं पास (एमबीबीएस/बीडीएस/बीएएमएस के लिए 50 प्रतिशत और बी.फॉर्मा. के लिए 60 प्रतिशत) होना अनिवार्य है। 8 मई को इसकी स्क्रीनिंग और 12 जून को इसकी मुख्य परीक्षा होगी। आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज (एएफएमसी) के भी एमबीबीएस के फॉर्म निकल गए हैं। इसके लिए प्रथम श्रेणी में बारहवीं पास (फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी तीनों में अलग-अलग न्यूनतम 50 फीसदी) आवेदन कर सकते हैं। 1 मई को होने वाली लिखित परीक्षा में बायोलॉजी, केमिस्ट्री, फिजिक्स, इंटेलीजेंस, लॉजिक, रीजनिंग व इंगलिश से प्रश्न पूछे जाएंगे। इनकी अधिक जानकारी के लिए वेबसाइट की मदद ले सकते हैं।
तैयारी के मुख्य बिंदु
-बीते वर्षों के अनसॉल्वड पेपर्स समय प्रबंधन के साथ सॉल्व करने की अधिकतम प्रैक्टिस करें।
-संबंधित विषयों की एनसीईआरटी की पुस्तकें जरूर पढ़ें।
-तीन महीनों में तीनों विषयों के सभी चैप्टर्स की तैयारी की रणनीति बनाएं।
-12वीं बोर्ड परीक्षा और प्रवेश परीक्षा के सिलेबस का विश्लेषण करें। इससे दोनों की एक साथ तैयारी करना काफी आसान हो जाएगा।
-प्रतिदिन छह से आठ घंटे की पढ़ाई जरूर करें और सभी विषयों पर बराबर ध्यान दें(डॉ. ए.के. वर्मा,अमर उजाला,11.1.11)।
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