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19 जनवरी 2011

हिमाचलःथम नहीं रहा विश्वविद्यालय में कर्मचारी आंदोलन

बाहरी कर्मचारी की परीक्षा नियंत्रक के पद पर तैनाती के विरोध में आज विश्वविद्यालय परिसर में संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले एक रैली का आयोजन किया गया। रैली को समिति के कार्यवाहक अध्यक्ष रमेश चंद शर्मा के अतिरिक्त विश्वविद्यालय कोर्ट सदस्य नरेश कुमार शर्मा, कार्यकारिणी सदस्य चौधरी वरयाम सिंह बैंस, गैर-शिक्षक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष डा. हितेश्ïवर सिंह ठाकुर, चतुर्थ श्रेणी एवं तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रधान लैहणू राम धांटा ने संबोधित किया।

गैर शिक्षक कर्मचारियों के लगभग 15 सौ सदस्यों के संगठनों के साथ शिक्षक संघ और विश्वविद्यालय में केंद्रीय छात्र संघ के समर्थन के साथ अब बाहरी कर्मचारी को विश्वविद्यालय में परीक्षा नियंत्रक के पद पर नियुक्ति देना वर्तमान कुलपति सुनील कुमार गुप्ता के साथ साथ धूमल सरकार केा भी महंगी पड़ सकती है। उनका कहना है कि जिस तरह से वर्तमान कुलपति ने पदासीन होते ही गैर शिक्षक कर्मचारियों के हितों के साथ खिलवाड़ किया है।

सूत्रों से पता चला है कि संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा उठाए गए मामले में कुलपति द्वारा एक्ट के प्रावधानों की परीक्षा नियंत्रक की नियुक्ति में कथित तौर पर सरेआम धज्जियां उड़ाई गई हैं। कुलपति सरकार के दबाव की बात कर रहे हैं किन्तु कभी कानूनी सलाहकारों की राय जानने की बात कर रहे हैं तो कभी स्वयं द्वारा की गई इस नियुक्ति को उचित व सही मान रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि एक ओर संयुक्त संघर्ष समिति पहले से ही पदों को अपग्रेड करना, नई भर्ती करना, दिहाड़ीदार कर्मियों को नियमित करना और प्रशासनिक अधिकारियों को संशोधित यूजीसी का वेतनमान देने की मांग कर रही है तो दूसरी ओर कार्यकारिणी सदस्य चौधरी वरयाम सिंह बैंस एवं विश्वविद्यालय कोर्ट सदस्य नरेश कुमार ने विश्वविद्यालय में नियमों, एक्ट के प्रावधानों को दरकिनार करने का गंभीर आरोप लगा रहे हैं।

उनका कहना है कि प्रशासन पंगू होकर रह गई है और मनमर्जी के नियम किसी व्यक्ति विशेष की नियुक्ति के लिए अपनाए जा रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल से एक्ट में प्रावधानों के अनुसार ही विश्वविद्यालय में परीक्षा नियंत्रक की नियुक्ति करने की अपील की तथा वर्तमान अवैध नियुक्ति को तुरंत रद्द करने की मांग की।

बैंस एवं नरेश कुमार ने एक्ट का हवाला देते हुए कहा कि 15ए के अनुसार परीक्षा नियंत्रक की नियुक्ति भी कुलसचिव की भांति पूर्णकालिक अधिकारी की तरह ही होनी चाहिए एवं उसे बाकायदा भर्ती नियमों के अनुसार साक्षातकार बोर्ड के समक्ष प्रक्रिया से गुजरना होगा जिसकी कार्यकारिणी परिषद की स्वीकृति के बिना नियुक्ति नहीं हो सकती और जिसका प्रावधान धारा 4-ए(1) परीक्षा नियंत्रक की नियुक्ति के लिए किया गया है। उल्लेखनीय है कि पिछले 40 वर्षों के इतिहास में इस पद का दायित्व विश्वविद्यालय के गैर शिक्षक कर्मचारी संभाल रहे थे।

उधर विश्वविद्यालय गैर शिक्षक संघ के अध्यक्ष डा. हितेश्ïवर सिंह ठाकुर एवं महासचिव नरेश कुमार शर्मा ने कहा है कि यदि विश्वविद्यालय प्रशासन 15 मार्च से शुरू होने वाली स्ïनातक स्तर की परीक्षाएं समय पर आयोजित करना चाहता है तो खाली पड़े पदों को शीघ्र भरा जाए तथा कर्मचारियों को पदोन्नति प्रदान कर उन्हें देय सभी सेवाएं व सुविधाएं प्रदान की जाए(दैनिक ट्रिब्यून,शिमला,19.1.11)।

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