यदि कोई कर्मचारी अपने से वरिष्ठ अधिकारी के कार्यो का संपादन करता है, तो वह उस अधिकारी के पद बराबर वेतन पाने का हक रखता है। केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने एक फैसले में यह बात कही है। न्यायाधिकरण की चेयरमैन वी.के. बाली और वाइस चेयरमैन एल.के. जोशी की पीठ ने कहा, हमारा विचार है कि जब किसी कर्मचारी को योग्य मानकर उसे वरिष्ठ अधिकारी की जिम्मेदारियां सौंपी जाती हैं, तो सैद्धांतिक रूप से वह उस पद से संबंद्ध वेतन का अधिकारी हो जाता है। पीठ ने कहा कि यदि सरकार किसी कनिष्ठ अधिकारी से उच्च कैडर के अधिकारी के कार्य करने को कहती है, तो ऐसे में उस कनिष्ठ अधिकारी को उच्च पद के योग्य वेतन दिया जाना चाहिए। न्यायाधिकरण का यह फैसला सामाजिक न्याय मंत्रालय के कर्मचारी कैलाश चंद जोशी की याचिका पर दिया है। विभाग ने उन्हें पर्सनल असिस्टेंट पद पर नियुक्त किया था, जबकि वह प्रिंसिपल प्राइवेट सेक्रेटरी पद कीजिम्मेदारियों का निर्वाह कर रहे थे। दोनों पदों के वेतन में लगभग दोगुना फर्क था। उन्होंने अक्टूबर 2007 से आठ महीनों तक यह काम किया। इसके लिए उन्हें कोई वेतन नहीं दिया गया।तब जोशी कैट के पास पहुंचे और पूरी स्थिति साफ की। उन्होंने ऊंचे पद के कार्य करने के एवज में अधिक वेतन की भी अपील की। मंत्रालय ने उनकी इस बात का विरोध किया और कहा कि वे अस्थायी नियुक्ति पर थे। न्यायाधिकरण को मंत्रालय के तर्क असंगत लगे और उसने मंत्रालय से जोशी को वरिष्ठ अधिकारी का वेतन देने को कहा(दैनिक जागरण,दिल्ली,10.1.11)।
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