मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) ने देश भर के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए राष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त प्रवेश परीक्षा आयोजित करने का फैसला किया है। एमसीआइ ने इस मुद्दे पर तमिलनाडु के राजनीतिक दलों के विरोध को दरकिनार कर दिया है। एमसीआइ के अतिरिक्त सचिव डा. पी. प्रसन्नराज ने रविवार को यहां कहा कि राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा के संबंध में गत 27 दिसंबर को केंद्रीय गजट में अधिसूचना प्रकाशित कर दी गई है। उन्होंने कहा है कि एमबीबीएस पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए हर शैक्षणिक सत्र में राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। इस परीक्षा में बैठने वाले छात्र को हर पेपर में न्यूनतम पचास फीसदी अंक प्राप्त करने होंगे। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ी जातियों के छात्रों के लिए न्यूनतम अंक 40 फीसदी निर्धारित किया गया है। अखिल भारतीय मेरिट सूची प्रवेश परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर ही तैयार की जाएगी। एमसीआइ ने मेडिकल कॉलेजों के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में नामांकन के लिए भी ऐसी ही परीक्षा आयोजितकरने का प्रस्ताव दिया है। तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक, विपक्षी अन्नाद्रमुक और कांग्रेस ने एमसीआइ के इस कदम का विरोध किया था। मुख्यमंत्री करुणानिधि ने इस संबंध में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद को पत्र भी लिखा था(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,4.1.11 में चेन्नै की ख़बर)।
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