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01 जनवरी 2011

दिल्ली में नर्सरी दाखिलाःस्कूल से घर की नजदीकी है ज़रूरी

हर पैरंट्स की चाह होती है कि उनका बच्चे का दाखिला बड़े नाम वाले स्कूल में हो जाए, चाहे इसके लिए बच्चे को कितनी ही दूर क्यों न भेजना पड़े। इसी वजह से कई बार पैरंट्स कुछ ही स्कूलों में रजिस्ट्रेशन करते हैं और उनके बच्चे का नाम किसी स्कूल में नहीं आ पाता। एक्सपर्ट ने पैरंट्स को सलाह दी है कि स्कूलों के पॉइंट फॉर्म्युले में नेबरहुड कैटिगरी को सबसे ज्यादा महत्व दिया गया है, इसलिए अगर इस कैटिगरी के पॉइंट नहीं ले पाते तो एडमिशन की राह मुश्किल है।

ऐसे में पैरंट्स को स्कूलों के पॉइंट सिस्टम की स्टडी करने के बाद उन स्कूलों में रजिस्ट्रेशन जरूर करना चाहिए, जहां एडमिशन के चांस बन रहे हैं। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन ने पैरंट्स की राह आसान बना दी है और अब 10 से 15 या इससे भी अधिक स्कूलों में रजिस्ट्रेशन करना बहुत मुश्किल नहीं रह गया है। एक्सर्पट्स का कहना है कि स्कूल से घर की दूरी, ट्रांसपोर्ट फैसिलिटी पर ध्यान रखकर मिशन एडमिशन की रेस में दौड़ना चाहिए।

एन. सी. जिंदल पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल डॉ. डी. के. पांडे का कहना है कि नर्सरी में 3 साल से ज्यादा उम्र के बच्चे का एडमिशन होता है। अगर ज्यादा दूरी वाले स्कूल में दाखिल करवाया जाता है तो इससे बच्चे पर बुरा असर पड़ता है। आने-जाने में ही बच्चे के घंटों खर्च हो जाते हैं। ऐसे में पैरंट्स को यह ध्यान रखना चाहिए कि उन स्कूलों में ही एडमिशन की कोशिश करें, जो घर से बहुत अधिक दूरी पर न हों। घर से दूरी कम होने पर एडमिशन के चांस भी अच्छे रहते हैं।

ऑल इंडिया पैरंट्स असोसिएशन के प्रेजिडेंट अशोक अग्रवाल का कहना है कि घर के नजदीक सभी स्कूलों में रजिस्ट्रेशन जरूर करना चाहिए। ट्रांसपोर्ट फैसिलिटी पर भी ध्यान देना चाहिए, क्योंकि अगर स्कूल की बस नहीं है या फिर आने-जाने में मुश्किल है तो बच्चे को मुश्किल हो सकती है। सिर्फ बड़े नाम के पीछे नहीं भागना चाहिए। अपनी जेब भी देखनी चाहिए। ऐसा न हो कि कुछ समय बाद स्कूल की फीस चुकाना बड़ी समस्या बन जाए। फीस के फैक्टर को भी एडमिशन में खास जगह देनी होगी।


एडमिशन नर्सरी डॉट कॉम के फाउंडर सुमित वोहरा का कहना है कि पिछले साल स्कूलों के एडमिशन फॉर्म्युले में काफी समानता थी, लेकिन इस बार काफी अंतर नजर आ रहा है। डिस्टेंस फैक्टर को कोई स्कूल 50 पॉइंट दे रहा है तो कोई 20। ऐसे में पैरंट्स को कोई रिस्क नहीं लेना चाहिए और सबसे पहले स्कूलों के पॉइंट फॉर्म्युले के हिसाब से देखना चाहिए कि कहां-कहां एडमिशन हो सकता है। जहां भी एडमिशन के चांस हों, वहां रजिस्ट्रेशन जरूर करें। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन से पैरंट्स को आसानी होगी। 

स्कूल का इन्फ्रास्ट्रक्चर, टीचर्स- स्टूडेंट रेश्यो को भी देखें। अगर स्कूल में बेसिक फैसिलिटी भी नहीं हैं तो उस स्कूल को न चुनें। स्कूल के बारे में थोड़ी पड़ताल भी कर लें। एक्सपर्ट का कहना है कि इस बार जनरल कैटिगरी की सीटें कम हो गई हैं और पैरंट्स को मौजूद सभी विकल्पों का प्रयोग करना चाहिए। ऐसा न हों कि दो- चार स्कूलों में ही रजिस्ट्रेशन किया हो और वहां पर एडमिशन न हों। 
(नवभारत टाइम्स,दिल्ली,1.1.11)

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