सरकारी और निजी स्कूलों में दसवीं व 12वीं की प्री-बोर्ड परीक्षा शुरू हो चुकी है। छात्रों के लिए प्री-बोर्ड परीक्षा सेमीफाइनल की तरह है। प्री-बोर्ड परीक्षा के आधार पर वह अपनी तैयारी का अंदाजा लगा सकते हैं। अगर प्री-बोर्ड परीक्षा में कोई विषय खराब चला जाए तो आगे बेहतर ढंग से तैयारी करें। प्री-बोर्ड का परिणाम खराब होने के बाद निराश होने के बजाए अधिक मेहनत करें। इस बारे में डीएवी स्कूल प्रबंध समिति की सचिव शीतल शर्मा ने कहा कि प्री-बोर्ड सिर्फ अपनी तैयारियों का आकलन करने का माध्यम है। इसके खराब होने और अच्छे होने से बोर्ड परीक्षा पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। लिहाजा बच्चे प्री-बोर्ड की परीक्षा खराब होने पर गलत कदम न उठाएं। अगर इस दौरान कोई कमी नजर आती है तो उसे सुधारने पर ध्यान दें। उसे बचे एक माह में दुरुस्त कर लें। अभिभावक प्री-बोर्ड की परीक्षा के लिए बच्चों पर नाहक दबाव न डालें। कई बार बच्चे आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं। प्री-बोर्ड में एक पेपर खराब होने पर भी माता-पिता बच्चों को डांटना शुरू कर देते हैं। यह सही नहीं है। उन्होंने कहा कि प्री बोर्ड ऐसा माध्यम है, जिसमें बोर्ड की परीक्षा की तैयारियों का मूल्यांकन हो जाता है। इसमें जो कमी नजर आती है, उसे आगे की तैयारी में दूर कर लिया जाता है(दैनिक जागरण,दिल्ली,19.1.11)।
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