बिलासपुर हाईकोर्ट ने प्रदेश में बहुद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की भर्ती पर अंतरिम रोक लगा दी है। राज्य शासन द्वारा नियमों को दरकिनार कर यह भर्ती की जा रही थी। इसे अलग-अलग याचिकाएं दायर कर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।
सुनवाई के बाद जस्टिस एसके अग्निहोत्री की सिंगल बेंच ने पूरी भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। साथ ही राज्य शासन, स्वास्थ्य सेवा संचालनालय सहित अन्य को दो सप्ताह में जवाब देने को कहा है। राज्य शासन द्वारा स्वास्थ्य सेवा संचालनालय के माध्यम से प्रदेश के सभी 18 जिलों में लगभग 2200 पदों पर बहुद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी।
संचालनालय द्वारा जारी विज्ञापन में इन पदों पर नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता बायोलॉजी विषय के साथ 12वीं पास रखी थी। छत्तीसगढ़ लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग (गैर कार्यपालिक) वर्ग-3 सेवा भर्ती नियम 1989 के अनुसार बहुद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की भर्ती के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 10 वीं पास है और एक साल का बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता कोर्स तय किया गया है। नियम विरुद्ध प्रक्रिया के खिलाफ कपिलनारायण पटेल व अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
इन याचिकाओं में विज्ञापन को नियम विरुद्ध बताते हुए भर्ती प्रक्रिया रद्द करने की मांग की गई। याचिकाओं पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने भर्ती प्रकिया को नियमों के अनुरूप न पाते हुए इस पर रोक लगा दी साथ ही शासन व अन्य को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है।
प्रदेश में पैरामेडिकल कौंसिल अधिनियम भी
राज्य शासन ने गांवों में स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता लाने और इलाज की व्यवस्था के लिए बहुद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता नियुक्त करने का निर्णय लिया था। इसके लिए 2001 में छत्तीसगढ़ पैरामेडिकल कौंसिल अधिनियम पारित किया गया, जिसके द्वारा राज्य सरकार पैरामेडिकल कोर्स करने वालों का पंजीयन करती है। इसमें बहुद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी शामिल हैं।
याचिकाओं में यह तर्क भी दिया गया कि शासन ने जो भर्ती प्रक्रिया अपनाई, उससे इस अधिनियम का भी कोई अर्थ नहीं रह गया, क्योंकि याचिकाकर्ता इसी अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड होते हुए भी आवेदन के पात्र नहीं रह गए थे(दैनिक भास्कर,बिलासपुर,19.1.11)।
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