स्टेट बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन कीओर से स्टेट ओपन स्कूल को सात वर्ष बाद फिर से शुरू करने की कवायद तो शुरू हुई, परंतु उस पर ग्रहण अभी भी लगा है। तमाम तैयारियां पूरी होने के बावजूद अधिकारियों की सुस्ती के चलते इस वर्ष भी स्कूल के शुरू होने के आसार नहीं के बराबर ही हैं।
जानकारी के अनुसार बोर्ड के पूर्व चेयरमेन प्रो. देशबंधु गुप्ता ने ओपन स्कूल को पुन: शुरू करने की कवायद पिछले वर्ष शुरू की थी। परंतु लांच करने के वक्त कश्मीर के हालात बिगड़ गए। इस कारण कश्मीर के ही एक प्रिंटर को छपाई के लिए दिए गए प्रॉस्पेक्टस तैयार नहीं हो सके। सितंबर 2010 में हालात थोड़ा सुधरने पर प्रॉस्पेक्टस तैयार हो गए।
वेबसाइट भी तैयार हो गई। परंतु फिर कश्मीर में बोर्ड परीक्षा को लेकर अधिकारी व्यस्त हो गए और स्कूल की लांचिंग नहीं हो सकी। बदकिस्मती ही कहिए कि अक्टूबर में बोर्ड के चेयरमेन का कार्यकाल समाप्त हो गया। बोर्ड की कई महत्वाकांक्षी परियोजनाएं के अधर में लटके होने के बावजूद सरकार ने चेयरमेन को एक्सटेंशन नहीं दी। इसके बाद बोर्ड के चेयरपर्सन का अतिरिक्त कार्यभार शिक्षा विभाग की आयुक्त सचिव नसीम लंकर को सौंपा गया।
सड़ रही पुस्तकें व प्रॉस्पेक्टस: कई करोड़ रुपए के खर्च से ओपन स्कूल के विभिन्न कोर्सो के लिए छपवाई गई पुस्तकें श्रीनगर और जम्मू स्थित बोर्ड के कार्यालयों में खुले में पड़ी सड़ रही हैं। यही हाल 20 हजार प्रॉस्पेक्टस का भी है। इन प्रॉस्पेक्टस पर भी दो लाख के करीब खर्च आया था।
22 साल से डांवाडोल है योजना: यह पहली बार नहीं है कि स्टेट ओपन स्कूल की शुरुआत नहीं हो पा रही। बोर्ड ने यह योजना पहली बार वर्ष 1989 में शुरू की थी। परंतु किन्हीं कारणों से इसे थोड़े समय बाद ही बंद करना पड़ा। इसके लंबे अर्से के बाद 2003 तत्कालीन शिक्षा मंत्री हर्षदेव सिंह ने इसे दोबारा शुरू करवाने की कोशिश की थी। आखिरी बार यह प्रयास 2010 में हुआ, परंतु नतीजा वही ढाक के तीन पात।
स्कूल ड्राप आउट्स को हो रहा नुकसान: जम्मू-कश्मीर को छोड़ तकरीबन सभी राज्य में ओपन स्कूल चल रहे हैं। परंतु आधिकारिक उदासीनता के चलते यहां के छात्र इस स्कूल की सुविधा से महरूम हैं। इसका फायदा उन बच्चों को मिलता है, जो किन्हीं कारणों से नियमित तौर पर स्कूल जाकर शिक्षा पाने में असमर्थ होते हैं। इसके माध्यम से बड़ी संख्या में स्कूल ड्राप आउट्स किसी भी उम्र में दोबारा अपनी पढ़ाई शुरू कर सकते हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ ओपन स्कूल (एनआईओएस) के माध्यम से प्रयास जारी हैं कि मुक्त शिक्षा के दायरे को बढ़ाया जाए। परंतु राज्य सरकार की बेरुखी के चलते इन प्रयासों कोअंजाम नहीं मिल रहा।
वक्त आने पर सब हो जाएगा: शिक्षा विभाग के आयुक्त सचिव नसीम लंकर कार्यवाहक चेयरपर्सन भी हैं, परंतु इस मुद्दा पर वे कुछ भी कहने से कतराते हैं। उन्होंने बिंदास अंदाज में यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि वक्त आने पर सब हो जाएगा।
लांचिंग की तारीख बोर्ड की एक्जीक्यूटिव मीटिंग के बाद तय होगी। व्यस्तता के कारण मीटिंग का आयोजन नहीं हो पा रहा है। उम्मीद है कि मार्च या अप्रैल में इस स्कूल की लांचिंग हो जाएगी। - शेख बशीर, बोर्ड सचिव(देवेन्द्र पाधा,दैनिक भास्कर,जम्मू,19.1.11)
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