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28 जनवरी 2011

दिल्लीःप्रथम श्रेणी पाने वाले छात्रों की संख्या घटी

सातवी-आठवीं कक्षा में 60 फीसदी या उससे ज्यादा अंक पाकर फर्स्ट डिवीजन पाने वाले छात्रों की संख्या में राजधानी फिसड्डी साबित हो रही है।

हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश व पंजाब सरीखे जैसे देश के उत्तरी राज्यों की तुलना में दिल्ली का प्रदर्शन निराशाजनक है। इसका कारण बच्चों की पढ़ाई को लेकर अभिभावकों के झुकाव में कमी, पाठ्यक्रम में हो रहे बदलावों को ठीक से समझने में परेशानी व ग्रेडिंग के गणित से बदला अध्ययन का नजरिया माना जा रहा है।

दिल्ली के बच्चों के प्रदर्शन को लेकर सामने आए यह चौंकाने वाले आंकड़े राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन विश्वविद्यालय की प्राइमरी और उच्च माध्यमिक शिक्षा पर रिपोर्ट के जरिये सामने आए हैं। सर्वे में 35 राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों के 13,03812 स्कूलों को शामिल किया गया है।

आंकड़ों पर नजर डालें तो दिल्ली में महज 39.54 फीसदी लड़के ही सातवी-आठवीं कक्षा में फर्स्ट डिवीजन (60 फीसदी) से अधिक अंक ला पाए हैं। हालांकि, लड़कियां यहां भी लड़कों को पछाड़ती नजर आती हैं और लड़कियों का प्रतिशत 40.89 है।

रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में वर्ष 2008-09 के मुकाबले 2009-10 में सातवीं-आठवीं में 60 फीसदी से अधिक अंक लाने वालों की संख्या में गिरावट आई है।

आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2008-09 में दिल्ली में छात्रों का प्रदर्शन ग्रेड के मुताबिक 40.26 फीसदी लड़कों ने ही 60 फीसदी या उससे अधिक अंक प्राप्त किए थे।


जबकि, इस बार यह आंकड़ा 39.54 फीसदी ही रह गया है। वहीं, अगर वर्ष 2008-2009 में लड़कियों के प्रदर्शन की बात की जाए तो 41.40 फीसदी लड़कियों ने ही 60 फीसदी या उससे अधिक अंक लाने में सफलता पाई। 

जबकि, वर्ष 2009-10 के लिए आई रिपोर्ट में यह आंकड़ा गिरकर 40.89 फीसदी पहुंच गया है। साफ है कि लड़कियां यहां लड़कों से तो आगे हैं, लेकिन उनका भी प्रदर्शन कोई खास नहीं है। 

अभिभावक नहीं दे रहे हैं ध्यान
डीएवी स्कूल के प्रिंसिपल रमाकांत तिवारी का कहना है कि दिल्ली में शिक्षा के अवसर बहुत हैं, लेकिन यहां सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों की संख्या काफी ज्यादा है। ऐसे स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने वाले 50 फीसदी बच्चों के अभिभावक ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। 

ट्यूशन पर जरूरत से ज्यादा निर्भर होने को भी वह इस गिरावट का एक कारण मानते हैं जिसके कारण बच्चों की नींव लगातार कमजोर होती जा रही है। अन्य कारणों पर उनका मनना है कि बच्चे पाठ्यक्रम को भी नहीं समझ पा रहे हैं। ग्रेडिंग से साक्षरता तो बढ़ रही है, लेकिन शिक्षा नहीं बढ़ पा रही है।

सातवीं-आठवीं कक्षा

राज्य-लड़कों का परिणाम लड़कियों का परिणाम

हरियाणा 54.85 52.13 

चंडीगढ़ 53.62 59.62 

उत्तर प्रदेश 46.15 45.02

हिमाचल प्रदेश 4013 42.54

जम्मू-कश्मीर 47.66 46.47

पंजाब 42.75 47.00(शैलेन्द्र सिंह,दैनिक भास्कर,दिल्ली,28.1.11)

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