मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

28 जनवरी 2011

छत्तीसगढ़ःदैवेभो निगम कर्मियों को मिली हाईकोर्ट से राहत

नगरीय निकायों में कार्यरत दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की याचिका हाईकोर्ट ने स्वीकार कर राज्य शासन द्वारा उन्हें हटाने के आदेश को नियमों के अनुरूप नहीं पाया है। आदेश से प्रदेश की नगर-निगम, पालिका या नगर पंचायत में कार्यरत दैनिक वेतनभोगियों को राहत मिलेगी।

राज्य के नगरीय प्रशासन व नगर विकास विभाग के अवर सचिव ने 23 सितंबर 2010 को एक परिपत्र जारी कर प्रदेश के सभी निगम आयुक्तों, पालिका व नगर पंचायत अधिकारियों को निर्देश दिए कि 1997 के बाद किसी दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी से अगर काम लिया जा रहा है तो उसे किए गए भुगतान की वसूली संबंधित आयुक्त या सीएमओ (मुख्य नगर पालिका, नगर पंचायत अधिकारी) से की जाएगी।


इस आदेश के बाद नगरीय निकायों से दैनिक वेतनभोगियों को निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी। इसके खिलाफ रवि कुमार सेन, मनीष मिश्रा, अजीत वर्मा, धनीराम सहित 52 दैनिक वेतनभोगियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। 

याचिका में कहा गया था कि उमादेवी विरुद्ध कर्नाटक राज्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर छत्तीसगढ़ शासन ने 5 मार्च 2008 को दिशा-निर्देश जारी किए थे। 

इसमें दैवेभो की भर्ती और निकालने के संबंध में नीति निर्धारण किया गया था। 23 सितंबर 2010 को अवर सचिव नगरीय प्रशासन द्वारा जारी परिपत्र सुप्रीम कोर्ट के आदेश और शासन के दिशा-निर्देश के अनुरूप नहीं हैं।

इसलिए हटाने की प्रक्रिया असंवैधानिक है। कोर्ट ने 23 सितंबर 2010 को जारी परिपत्र इसके पहले शासन के दिशा-निर्देशों के अनुसार नहीं पाने पर निगम कर्मियों की याचिका स्वीकार कर शासन को नियमों को पालन करने का आदेश दिया है। 

दैवेभो के लिए ये था सुप्रीम कोर्ट का आदेश 
उमादेवी विरुद्ध कर्नाटक राज्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में दैनिक वेतनभोगियों के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश दिए थे। उनके अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने दैनिक वेतनभोगी या एडहाक नियुक्ति को बैक डोर इंट्री (पिछले दरवाजे से नियुक्ति) माना था। 

लेकिन कोर्ट ने यह भी कहा कि जो नियुक्तियां हो चुकी हैं उन पर यह आदेश लागू नहीं होगा, इसलिए ऐसी नियुक्तियों के संबंध में राज्य शासन नीति बनाकर तय करे कि उन्हें किस तरह नियमित किया जा सकता है। इस आदेश के अनुरूप राज्य शासन ने 1997 के पूर्व से काम कर रहे दैवेभो को निकालने पर रोक लगाई गई थी(दैनिक भास्कर,बिलासपुर,28.1.11)।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।