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19 जनवरी 2011

मरीजों को क्लीनिक बुलाते हैं पटना मेडिकल कॉलेज के डाक्टर

बिहार के मेडिकल कालेजों में तैनात डाक्टर ड्यूटी के दौरान अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को अपने निजी क्लीनिक एवं नर्सिग होम्स में भिजवा देते हैं। सेवानिवृत्ति की सीमा बढ़ाने के मसले पर मेडिकल कालेजों में तैनात शिक्षकों के संबंध में कैबिनेट सचिव की यह टिप्पणी उस फाइल में दर्ज है, जो मुख्य सचिव को भेजी गयी है। देखा जाए तो डाक्टरों की सेवा आयु 62 से 65 साल किये जाने की राह में उनके द्वारा की जा रही निजी प्रैक्टिस ही बाधा बनकर खड़ी हो गयी है। दरअसल, यह मामला उस समय सामने आया जब राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल कालेजों में तैनात शिक्षकों की सेवानिवृत्ति बढ़ाने से संबंधित संलेख वित्त विभाग के अनुमोदन के पश्चात मंत्रिपरिषद की मंजूरी के लिए भेजा। कैबिनेट सचिव ने अपनी टिप्पणी में कहा, यह मामला वाइडर कन्सल्टेशन(विस्तृत विमर्श) के पश्चात ही मंत्रिपरिषद के समक्ष लाया जाए। उन्होंने यह भी लिखा है-62 वर्ष तक तो चिकित्सक शिक्षक मेडिकल कालेज एवं अस्पताल दोनों में कार्य करें, इसके बाद अगर मेडिकल जांच में शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ पाये जाएं, उनसे केवल शिक्षक का काम संविदा के आधार पर 65 वर्ष की आयु तक लिया जाए। अस्पताल में उन्हें तैनात नहीं किया जाए, क्योंकि वहां से ये मरीजों को अपने निजी क्लीनिक या नर्सिग होम भिजवाते हैं। जैसे-जैसे ये वरिष्ठ होते जाते हैं, उनकी निजी प्रैक्टिस भी बढ़ती जाती है। वे कम से कम समय सरकारी कार्य में लगाते हैं। अभी वर्तमान में अंतरमहाविद्यालय स्थानांतरण भी प्राय: वर्जित सा ही है। जो अच्छे चिकित्सक हैं, वे एक ही मेडिकल कालेज को पकड़ कर जमे रहते हैं और उसी शहर में अपनी निजी प्रैक्टिस जमा लेते हैं। नतीजे में अन्य महाविद्यालयों के छात्रों को अच्छे शिक्षकों के ज्ञान और अनुभव का लाभ नहीं मिल पाता है(एस.ए. शाद,दैनिक जागरण,पटना,19.1.11)।

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