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19 जनवरी 2011

जमशेदपुरःजान जोखिम में डाल स्कूल पहुंचते हैं नौनिहाल

झारखंड के कोल्हान मंडल के गांवों में लोग आज भी 18वीं सदी सी जिंदगी जीने को मजबूर है। जमशेदपुर जिले में सोनारी के पास स्थित दोमुहानी (‌र्स्वरेखा व खरकाई नदी का संगम) के दूसरे किनारे पर बसे सपड़ा और डोगो गांवों के बच्चे साक्षरता के दो अक्षर सीखने के लिए कई किलोमीटर पैदल चल कर नाव से नदी पार करके स्कूल पहुंचते हैं। नदी में बाढ़ आ गई तो ठप हो जाती है नौनिहालों की पढ़ाई। सपड़ा और डोगो गांव के तकरीबन साठ बच्चे जान जोखिम में डालकर प्रतिदिन स्कूल जाते हैं। जिस नदी को वे पार करते हैं उस नदी में लगभग 40 फीट गहरे गढ्ढे हैं। सोनारी के मिथिला मध्य विद्यालय में कक्षा छह के छात्र जय बहादुर महतो का कहना है कि वह पिछले छह वर्ष से लगातार नाव से नदी पार करके स्कूल जाता है। डर तो लगता है, लेकिन अब आदत पड़ गई है। सपड़ा निवासी पूजा कुमारी नामक छात्रा ने बताया कि स्कूल पहुंचने के लिए 8 किमी पैदल चलना पड़ता है। कभी-कभी देर हो जाती है और डांट भी सुननी पड़ती है। हमारे इलाके में अच्छा स्कूल भी नहीं है। अच्छा स्कूल है भी तो गम्हरिया में। वहीं, चांडिल थाना क्षेत्र के गौरी बस्ती निवासी कारमेल स्कूल के छात्र चंदन कुमार ने बताया कि मुझे स्कूल पहुंचने के लिए दो नदियां पार करनी पड़ती है। कई बार ऐसा भी हुआ है कि हम लोग गिरते-गिरते बचे हैं। इस बारे में अभिभावकों का कहना है कि बेटे-बेटियां पढ़ने के लिए जाते हैं तो मन में हमेशा डर बना रहता है। बारिश के दिनों में दिक्कत ज्यादा बढ़ जाती है, क्योंकि नावें नहीं चलतीं। उनका कहना है कि वे और उनके बच्चे गांव के पिछडे़पन की सजा भुगत रहे हैं। इस बारे में बात करने पर सोनारी के मिथिला मध्य विद्यालय के प्राचार्य जे. महाकुल ने कहा, सोहरपाड़ा के स्कूल की व्यवस्था अच्छी नहीं है। केवल कक्षा पांच तक ही पढ़ाई होती है। पुल का निर्माण जल्द होना चाहिए ताकि गांव के लोग शहर से जुड़ सकें। नाव है गांवों की लाइफ लाइन : कुल मिलाकर यह कहा जाए तो गलत न होगा कि इन दो गांवों को जिंदगी की जरूरत से जोड़ने के लिए हर सूरत में नाव की जरूरत पड़ती है। जिस दिन नाव नहीं चली उस दिन सब कुछ ठप। आपात स्थिति में केवल ईश्वर का ही सहारा रह जाता है(चुनचुन मिश्रा,दैनिक जागरण,जमशेदपुर,19.1.11)।

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