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19 जनवरी 2011

नौकरी को सऊदी अरब गए युवा चरा रहे ऊंट

देश के युवाओं को नौकरी का झांसा देकर अरब प्रायद्वीप में गुलाम बनाए जाने का एक और हृदय विदारक मामला सामने आया है। मुंबई के दो युवकों को हाल में ही सरकार के हस्तक्षेप के बाद वहां से आजाद कराया गया है। इसके साथ यह हकीकत भी सामने आई है कि कश्मीर, उत्तर प्रदेश और पंजाब के हजारों युवक मीलों फैले रेगिस्तान में गुलामी का नर्क भोग रहे हैं। इन युवकों को यहां के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले रईसों ने अपने ऊंटों और बकरियों को चराने का काम दे रखा है। इनसे 40 से 50 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान वाली कड़ी धूप में दिन भर काम कराया जाता है, लेकिन खाने के लिए एक वक्त की रोटी तक नहीं दी जाती। साथ ही पानी भी इतना नहीं दिया जाता कि ढंग से गला तर कर सकें। बीस घंटे काम लिया जाता है और एक पैसा तक नहीं दिया जाता। 

दो भाइयों की कहानी
मुंबई के रहने वाले अनीस पालेकर (28) और उनके छोटे भाई हबीब (25) जून 2010 में अपने बड़े भाई के पास काम की तलाश में कतर गए थे। वहां उन्हें एजेंट ने अपने रिश्तेदार पुलिसकर्मी मोहम्मद अल मारी से मिलवाया। मारी ने इन भाइयों काम देने का वादा किया और अपनी कार में साथ लेकर चल पड़ा। दोनों भाइयों को शक तब हुआ जब सऊदी अरब की सीमा पर उनके पासपोर्ट पर मुहर लगी, लेकिन देर हो चुकी थी। हबीब के अनुसार, सऊदी में उसने हाइवे के बजाय गाड़ी रेगिस्तान की तरफ मोड़ दी। कई सौ किलोमीटर चलने के बाद रुके, तो सामने करीब 400 ऊंटों का झुंड दिखा। वहां अनीस और हबीब को पता चला कि उन्हें ऊंटों को चराना और नहलाना होगा। उन्होंने बताया कि 3500 वर्गफीट में फैले फार्म की सफाई की जिम्मदारी भी उनकी थी। साथ ही उन्हें ऊंटों के 50 नवजात बच्चों को बोतल से दूध पिलाना पड़ता था। 

मुश्किल से मिली आजादी
करीब चार महीने बाद, ये भाई अक्टूबर में घर फोन करने कामयाब रहे। तब इन्हें छुड़ाने के प्रयास शुरू हुए। इनकी मां ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिख कर गुहार लगाई और वहां से कतर तथा सऊदी अरब शिकायत की गई। जब सऊदी वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों ने मारी पर दबाव बनाया, तब ये भाई रिहा हो सके। हालांकि मारी ने इन्हें खूब धमकाया और जान से मारने की धमकी दी। 

कई और भोग रहे नरक
पिछले सप्ताह भारत लौटे अनीस का कहना है, वहां काम के लिए गए भारतीयों के साथ जानवरों सा बर्ताव होता है। प्लेसमेंट एजेंट युवकों को कतर, सऊदी, कुवैत और दुबई में अच्छी नौकरी का झांसा देते हैं और रेगिस्तान में रहने वाले रईसों के हवाले कर देते हैं। उनके अनुसार, देश के कई इलाकों के युवक सऊदी में गुलामी की जिंदगी जी रहे हैं। (मिड डे,मुंबई में विनोद कुमार मेनन की रिपोर्ट दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,19.1.11 में)

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