खटाई में पड़ती दिख रही मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के संयुक्त प्रवेश परीक्षा के जरिए एमबीबीएस के दाखिले कराने की योजना में राज्य कोटे की सीटों का मुद्दा भी उठाया जा रहा है। उत्तर प्रदेश की ओर से उपलब्ध स्नातक पाठ्यक्रम की कुल सीटों में से 85 प्रतिशत कोटे में प्रदेश के डोमिसाईल अभ्यर्थियों के प्रवेश सुनिश्चित कराने की मांग भी 11 जनवरी को एमसीआई के समक्ष दर्ज करायी जायेगी।
एमसीआई की कॉमन एंट्रेंस स्कीम पर प्रदेश सरकार ने दो फरवरी 2010 को एतराज दर्ज कराया था। तत्कालीन विशेष सचिव एके बरनवाल के पत्र में भी संयुक्त परीक्षा में शामिल होने के लिए प्रदेश की प्राविधानित आरक्षण नीति का पालन करने की शर्त रखी गयी थी। इसके अलावा प्रवेश परीक्षा के लिए एक यूनिक पाठ्यक्रम तय करने और उसे लागू किए जाने को एक वर्ष का समय देने पर जोर दिया। इसके अलावाराज्य के मेडिकल कालेजों में उपलब्ध स्नातक पाठ्यक्रम की कुल सीटों में से 85 प्रतिशत राज्य कोटे पर डोमिसाईल अभ्यर्थियों का ही प्रवेश सुनिश्चित किए जाने के बाद ही संयुक्त प्रवेश परीक्षा आयोजित कराने पर सहमति जताने की बात कही। बता दें कि केंद्र भी एमसीआई की योजना से फिलवक्त रजामंद नहीं है।
उधर चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डा. सौदान सिंह का कहना है कि दस जनवरी की बैठक में संयुक्त प्रवेश परीक्षा को लेकर सरकार के रुख पर अंतिम मोहर लगेगी(दैनिक जागरण,लखनऊ,8.1.11)।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।