बलौदाबाजार शिक्षा जिले में शिक्षाकर्मियों की भर्ती में हुई गड़बड़ी की शिकायत नए सबूतों के साथ की गई है। सूचना के अधिकार के तहत हासिल की गई सभी परीक्षार्थियों की ओएमआर शीट (आंसर शीट) की जांच में 136 मामले संदिग्ध पाए गए।
इससे संदेह होता है कि इन चुने गए शिक्षाकर्मियों को या तो प्रश्नपत्र का पता था या परीक्षा के बाद उनकी उत्तर पुस्तिका के साथ छेड़खानी की गई। जिला प्रशासन ने इन ंिबंदुओं को जांच के दायरे में शामिल करने की बात कही है।
बलौदाबाजार में शिक्षाकर्मियों की यह परीक्षा शुरू से ही विवादों में घिरी रही। तीन हजार शिक्षाकर्मियों को परीक्षा के बाद ओएमआर शीट नहीं दी गई। नतीजों के बाद पता चला कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों, मंत्रियों के करीबी और शिक्षाकर्मी संघ के पदाधिकारियों समेत उनके रिश्तेदार प्रधान पाठक चुन लिए गए।
जिला प्रशासन की जांच से संतुष्टि नहीं होने पर कई शिक्षाकर्मियों ने सूचना के अधिकार के तहत परीक्षा में शामिल सभी की ओएमआर शीट (आंसर शीट) निकलवाई। इनकी जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य पता चले।
इसके आधार पर चयन से वंचित रह गए 25 से ज्यादा शिक्षाकर्मियों ने जिला पंचायत सदस्य सुनील माहेश्वरी के साथ कलेक्टर रोहित यादव और जिला पंचायत के सीईओ अंकित आनंद से लिखित शिकायत दी।
सात दिसंबर को मामले की जांच करने के लिए सीईओ बलौदाबाजार जाएंगे। भूपेंद्र सिंह, पीलूराम धृतलहरे, सुरेंद्र गिरी गोस्वामी, रामेश्वर वर्मा, चेतन वर्मा, सुनील तिवारी, सरोजना यदु और टीकाराम साहू ने आरोप लगाया कि कई लोगों को फेल करने के लिए उनकी ओएमआर शीट में कई उत्तरों पर दोबारा गोले लगा दिए गए। इससे उनके नंबर कट गए।
सारी गड़बड़ियां कहां हुईं, यह मेरी जानकारी में नहीं है। अभी तक इस बारे में किसी ने उन्हें शिकायत नहीं की। - सीआर साहू, सहायक संचालक शिक्षा और चयन परीक्षा प्रभारी
परीक्षा के बाद उत्तरों पर लग गए डबल गोले
शिक्षाकर्मी संघ के प्रदेश अध्यक्ष संजय तिवारी को 97 प्रश्न के जवाब में 85 अंक मिले। ओएमआर शीट में पहले दस सवालों में डबल गोला लगा होने की वजह से अंक कट गए, जबकि सभी के जवाब सही थे।
टीकाराम साहू ने ओएमआर शीट जमा करने के पहले उसकी फोटोकॉपी करवा ली थी। उन्हें 62 अंक की आशा थी, पर मिले 42 अंक। उसके कई उत्तरों पर डबल गोले लगे मिले।
ओएमआर शीट में आधे गोले लगाने वाले परीक्षार्थी का जवाब निरस्त कर दिया जाना चाहिए था, ऐसे सात लोगों के उत्तरों को सही मानकर चयन कर लिया गया।
जितने जरूरी, उतने ही किए हल
परीक्षा में शामिल 80 लोगों ने 15 से 36 सवालों का जवाब ही नहीं दिया। नतीजों के बाद प्रधान पाठक बन चुके इनमें से ज्यादातर ने उतने ही अंकों के सवाल हल किए, जितने चयनित होने के लिए जरूरी थे।
चौंकाने वाली बात यह है कि इस परीक्षा में निगेटिव मार्किग नहीं थी। करीब ढाई हजार ने शत प्रतिशत सवाल हल किए। शिकायत में शिक्षाकर्मी संघ के प्रदेश अध्यक्ष की ओएमआर शीट की प्रति भी लगाई गई है।
"शिक्षाकर्मियों की शिकायत को जांच के दायरे में शामिल किया जा रहा है। कलेक्टर के आदेश पर भर्ती प्रक्रिया की जांच की जा रही है-"अंकित आनंद, सीईओ जिला पंचायत
(दैनिक भास्कर,रायपुर,6.1.11)
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