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30 जनवरी 2011

खगोल विज्ञान में करिअर

आसमान में लाखों जगमगाते एवं टिमटिमाते तारों को निहारना दिलो-दिमाग को सुकून से भर देता है। इन्हें देखने पर मन में यही आता है कि अगली रात में आने का वायदा कर जगमगाते हुए ये तारे आखिर कहां से आते हैं और कहां गायब हो जाते हैं। इसी तरह उल्कावृष्टि, ग्रहों की गति एवं इन पर रहस्यों से ओत प्रोत बातें सोच-सोचकर आदमी खामोश रह जाता है। एस्ट्रोनॉमी या खगोल विज्ञान वह करिअर है जो इन सभी रहस्यों सवालों एवं गुत्थ्यों को सुलझाता है। अगर आप ब्रह्मांड के रहस्यों से रू-ब-रू होकर अंतरिक्ष को छूना चाहते है तो यह करिअर आपके लिए बेहतर है।

खगोल विज्ञान क्या है
खगोल विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जो धरती से परे अंतरिक्ष के ज्ञान से संबंधित है। यह ब्रह्मांड में स्थित खगोलीय पिण्डों की गति, प्रकृति और संघट्न का विज्ञान है। साथ ही इनके इतिहास और संभावित विकास हेतु प्रतिपादित नियमों का अध्ययन भी है। यह ज्योतिष विज्ञान जिसमें सूर्य, चंद्रमा और विभिन्न ग्रहों द्वारा व्यक्ति के चरित्र, व्यक्तित्व एवं उस पर पडऩे वाले प्रभावों का अध्ययन किया जाता है, से पूरी तरह अलग है। आधुनिक तकनीक एवं गैजेटस के प्रयोग ने हालांकि खगोल विज्ञान को एक विशिष्ट विधा बना दिया है। परन्तु वास्तव में यह बहुत ही पुरानी विधा है। प्राचीन काल से ही मानव ग्रहों एवं अंतरिक्ष पिण्डों का अध्ययन करता रहा है। खगोल विज्ञान में अंतरिक्ष पिण्डों के बारे में जानकारी संग्रह करने के बाद उपलब्ध आंकड़ों से तुलना कर निष्कर्ष निकाले जाते हैं तथा पुराने सिद्धांतों को संशोधित कर नए नियम प्रतिपादित किए जाते हैं।

ज़रूरी शैक्षिक योग्यता : 
यदि आप भी अंतरिक्ष की रहस्यमय और रोमांचक दुनिया में कदम रखना चाहते हैं तो खगोल विज्ञानी का कोर्स कर सकते हैं। भौतिकी या गणित से स्नातक पास विद्यार्थी श्मोरेटिकल एस्ट्रोनोमी कोर्स में प्रवेश ले सकते है। इंस्ट्रमेंटेशन एक्सपेरिमेंटल एस्ट्रोनोमी में प्रवेश के लिए बैचलर ऑफ इंजीनियर (इलैक्ट्रोनिक्स, इलैक्ट्रिकल या इलैक्ट्रिकल कम्युनिकेशन) की डिग्री जरूरी है। यदि आप पीएचडी कोर्स में प्रवेश लेना चाहते हैं तो ज्वाइंट एंट्रेस स्क्रीनिंग टेस्ट (जेईएसटी) से गुजरना होगा। इस परीक्षा में बैठने के लिए भौतिकी से मास्टर डिग्री तथा इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री होना जरूरी है।

खगोल विज्ञान में वैज्ञानिक तरीकों से तारों, ग्रहों, धूमकेतू आदि के बारे में अध्ययन किया जाता है। साथ ही साथ पृथ्वी के वायुमण्डल के बाहर किस तरह की गतिविधियां हो रहीं है यह भी जानने का प्रयास किया जाता है। इसकी निम्रलिखिल शाखाएं है :

एस्ट्रोकेमिस्ट्री : इस शाख में कैमिकल कम्पोजिशन के बारे में अध्ययन किया जाता है साथ ही विशेषज्ञ अंतरिक्ष में पाये जाने वाले रसायनिक तत्व के बारे में गहन अध्ययन कर जानकारियां एकत्र करते हैं।

एस्ट्रोमैटेरोलॉजी : खगोल विज्ञान के इस हिस्से में खगोलीय चीजों की स्थिति और गति के बारे में जानकारी जुटाई जाती है। साथ ही साथ यह जानने का प्रयास भी किया जाता कि खगोलीय चीजों का पृथ्वी के वायुमंडल पर किस तरह का प्रभाव पड़ता है यदि आप वायुमंडल पर पडऩे वाले खगोलीय प्रभाव को ठीक से समझ गए और इस विधा का गहन अध्ययन कर लिया तो आपकी मांग काफी बढ़ जायेगी।

एस्ट्रोफिजिक्स : इसके अंतर्गत खगोलीय चीजों के भौतिक गुणों का अध्ययन किया जाता है। खगोलीय भौतिक गुणों को समझना बहुत दुरुह कार्य है। इनको समझने में अध्ययनरत विद्यार्थियों को सालों लग जाते हैं।


एस्ट्रोजिओलॉजी : इसके तहत ग्रहों की संरचना और कम्पोजीशन के बारे में अध्ययन किया जाता है। इस क्षेत्र के विशेषज्ञ बनने के लिए ग्रहों की गहराई से अध्ययन करने की जरूरत है। इसे समझने
के लिए सोलर सिस्टम, प्लेनेट, स्टार, सेटेलाइट आदि के गहन अध्ययन की जरूरत है।

एस्ट्रोबायोलॉजी : क्या पृथ्वी के वायुमंडल के बाहर भी जीवन है? इस बात का अध्ययन एस्ट्रोबायोलॉजी के अंतर्गत किया जाता है। इस शाखा के जानकार ही पृथ्वी से बाहर जीवन होने के रहस्य का पर्दा हटा सकते है, इसके लिए कई वर्षों तक काम करना जरूरी है।

एस्ट्रोनॉमी में संभावनाएं
एस्ट्रोनॉमी में कोर्स पूरा करने के बाद संभावनाओं की कमी नहीं है यदि सरकारी संस्थाओं की बात करें तो ईसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन), नेशनल सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स पुणे, फिजिकल रिसर्च लैब, अहमदाबाद, विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर, स्पेस फिजिक्स लैब, स्पेस एप्लिकेशन सेंटर, इंडियन रिसर्च आर्गनाइजेशन बंगलुरु, एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी ऑफ इंडिया आदि में नौकरी तलाश सकते है। यदि शोध के क्षेत्र में कुछ सालों का अनुभव हो तो अमेरिका की नासा से भी नौकरी हासिल कर सकते है।

वेतन
शोध कार्य के दौरान कनिष्ठ शोधकर्ता को आठ हजार रुपये व वरिष्ठ शोधकर्ता को नौ हजार रुपये मिलते है। हॉस्टल में रहने, खाने, चिकित्सा तथा परिवहन की सुविधाएं संस्थान द्वारा दी जाती है। शोध पूरा करने के बाद वैज्ञानिक, एस्ट्रोनॉमर एस्ट्रोनाट के पद पर उच्च वेतनमान के साथ अन्य सुविधाएं भी मिलती हैं।

कोर्स करने के लिए संस्थान :
1. इंडियन इंस्ट्रीच्यूट ऑफ साइंस, बेंगलूरु
2. रेडियो एस्ट्रोनोमी सेंटर, तमिलनाडु
3. इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स, पुणे
4. रमन रिसर्च इंस्टीच्यूट, सीवी रमन एवेन्यू, बेंगलूरु
5. फिजिकल रिसर्च लेबोरेट्री, अहमदाबाद
6. उस्मानियां विश्वविद्यालय, हैदराबाद
7. मदुरै कामराज विश्वविद्यालय, मदुरै, तमिलनाडु
8. पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला (पंजाब)
(खुशवीर मोठसरा,दैनिक ट्रिब्यून,19.1.11)

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