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02 जनवरी 2011

बिहार में कालेज अध्यापकों की छुट्टी में भारी कटौती

बिहार में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने और पिछड़े शैक्षणिक सत्र को नियमित करने के लिए कुलाधिपति (महामहिम राज्यपाल) ने कालेज शिक्षकों की छुट्टियों में भारी कटौती कर दी है। नए आदेश का ही प्रभाव रहा कि शिक्षकों को नववर्ष के पहले दिन (1 जनवरी 2011) भी कालेजों में उपस्थित होकर व्याख्यान देना पड़ा। मकर संक्त्रांति को भी अध्यापक दही-चूड़ा और तिलकुट खाकर छात्र-छात्राओं को पढ़ाने जायेंगे। कुलाधिपति कार्यालय के अनुसार, महामहिम के नए आदेश के मुताबिक, शिक्षकों के ग्रीष्मावकाश व पूजावकाश में भी कटौती की गयी है। पहले जहां इन दोनों में कुल मिलाकर लगभग ढाई महीने की छुट्टी मिलती थी अब उसमें भारी कटौती हुई है। गर्मी की छुट्टी अब मात्र 30 दिन की होगी। दशहरे में 4 दिन का अवकाश मिलेगा, दीपावली व छठ में भी अब चार दिन ही कालेज बंद रहेंगे। होली में भी दो दिन की छुट्टी रहेगी। राजभवन ने बुद्ध पूर्णिमा, रक्षाबंधन, रमजान के महीने के अंतिम जुम्मा सरीखी तीन चार अन्य छुट्टियों में भी कटौती कर डाली है। पूर्व में लंबे अवकाश देने का मकसद शिक्षकों को शोध के लिए अतिरिक्त समय देना व सेमिनार आदि में शिरकत कर अपनी दक्षता को बढ़ाने का अवसर देना था, मगर इस लक्ष्य की पूर्ति न हो सकी। विवि इस अवकाश का उपयोग छात्रों को विभिन्न ट्रीपों पर भेजने में भी नहीं कर रहे थे। हड़ताल व अन्य वजहों से शिक्षण कार्य बाधित हो रहा था तथा सत्र पिछड़ रहे थे। वहीं, बिहार राज्य विवि शिक्षक सेवा महासंघ के महासचिव डा.दिलीप चौधरी ने कहा, महासंघ का एक शिष्टमंडल जल्द ही कुलाधिपति से मिल कर अवकाश कैलेंडर में संशोधन की मांग करेगा। डा.चौधरी ने कहा, अवकाश में कटौती पर वे कुछ नहीं करेंगे मगर कुलाधिपति को शिक्षकों का अर्जित अवकाश 13 दिनों से बढ़ा कर शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की तरह 33 दिन कर देना चाहिए(अवनीन्द्र नाथ ठाकुर,दैनिक जागरण,पटना,2.1.11)।

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