इस साल से डीयू में सेमेस्टर सिस्टम लागू हो गया है। इस तरह छह महीने में ही एग्जाम्स देने की चलते स्टूडेंट्स की मौज-मस्ती पर कितना फर्क पड़ेगा, चलिए जानते हैं उन्हीं से :
अनु चौहान
डीयू के स्टूडेंट्स अपनी मौज-मस्ती के लिए जाने जाते हैं। यही वजह है कि फेस्ट हो या फे्रशर्स पार्टी, वे कहीं धमाल मचाने से नहीं चूकते। लेकिन इस साल से दिल्ली यूनिवर्सिटी ने सेमेस्टर सिस्टम अप्लाई कर दिया है, जिसके तहत स्टूडेंट्स को हर छह महीने में एग्जाम देने होंगे। हालांकि अभी यह सिस्टम ग्रैजुएशन में साइंस के 13 सब्जेक्ट्स पर ही लागू हुआ है, लेकिन जल्दी ही इसके सभी कोर्सेज पर लागू होने की उम्मीद है। जाहिर है कि इससे स्टूडेंट्स की मस्ती थोड़ी कम हो जाएगी और साथ में उन पर प्रेशर भी बढ़ेगा। हिंदू कॉलेज में केमिस्ट्री ऑनर्स के स्टूडेंट अंकित कहते हैं, 'सेमेस्टर सिस्टम के कुछ फायदे हैं, तो कुछ नुकसान भी। दरअसल, अब हमें पूरे साल की पढ़ाई दो पार्ट्स में करनी होगी। इससे पढ़ाई का बोझ तो कम होगा, लेकिन अब पूरे साल मस्ती किश्तों में करनी पड़ेगी। जहां साल में एक बार रिजल्ट आने पर पैरंट्स की डांट एक बार ही पड़ती थी, वहीं अब दो बार ऐसा होगा।'
वैसे, कॉलेज की मस्ती का अपना टशन होता है और डीयू में एडमिशन लेने वाले ऐसे स्टूडेंट्स की कमी नहीं है, जो अपने इन सालों को 'गोल्डन डेज' मानकर यहां आते हैं। कई तो खुद को यह सच्चाई दिखा लेते हैं कि मस्ती के साथ पढ़ाई भी जरूरी है, लेकिन पूरे साल मौज-मस्ती करने वालों का साल का रिजल्ट जीरो रहता है। चूंकि अब सेमेस्टर लागू हो गया है, तो पहले सेमेस्टर में मार्क्स अच्छे न आने पर दूसरे सेमेस्टर के लिए अलर्ट हुआ जा सकता है और प्लानिंग के साथ मस्ती भी की जा सकती है। दौलतराम कॉलेज में हिंदी ऑनर्स की स्टूडेंट संतोष कुमारी कहती हैं, 'अभी मेरे कोर्स पर सेमेस्टर सिस्टम लागू नहीं हुआ है, लेकिन इसका कुछ फायदा हमें जरूर हो रहा है। चूंकि साइंस कोर्स पर सेमेस्टर सिस्टम लागू हो चुका है और उनके एग्जाम शुरू भी हो गए हैं, तो इसके चलते बाकी कोर्सेज के होम एग्जाम पहले ही हो गए हैं। इस तरह हमें हमारी तैयारी चेक करने का प्रॉपर टाइम मिल गया है। बाकीजहां तक मौज-मस्ती का सवाल है, तो डीयू के स्टूडेंट्स काफी स्मार्ट हैं और वे किसी ना किसी तरीके से अपने लिए मौज-मस्ती के लिए टाइम निकाल ही लेेते हैं।'
स्टूडेंट्स की हरकतों पर टीचर्स की भी पूरी नजर रहती है और सेमेस्टर सिस्टम के चलते स्टूडेंट्स की हलचल को वे भी भी समझ रहे हैं। डीयू में असोसिएट प्रोफेसर डॉ. ओमपाल सिंह कहते हैं, 'सेमेस्टर सिस्टम स्टूडेंट्स की भलाई के लिए बना है। इससे स्टूडेंट्स पर एग्जाम का प्रेशर कम पड़ेगा और उन्हें एग्जाम खत्म होने के बाद जो छुट्टियां मिलेंगी, उसमें वे मौज-मस्ती भी कर सकेंगे।' वहीं डूसू सेक्रेटरी नीतू डबास का कहना है, 'चूंकि सेमेस्टर सिस्टम इस साल से ही शुरू हुए हैं, इस वजह से कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन व स्टूडेंट को थोड़ी-बहुत परेशानियां तो झेलनी पड़ सकती हैं। लेकिन आने वाले सालों में सभी इस नए सिस्टम से एडजस्ट कर लेंगे। वैसे भी, एग्जाम के बाद मिलने वाली छुट्टियों और फेस्ट में उनके पास एन्जॉय करने का भरपूर स्कोप है।' बहरहाल सेमेस्टर सिस्टम के नए होने से एक बार स्टूडेंट्स को जरूर लग सकता है कि मस्ती का उनका टाइम कम हो गया, लेकिन थोड़ी-सी प्लानिंग करके वह अपने इन गोल्डन डेज को वाकई सुनहरी यादों में बदल सकते हैं(नवभारत टाइम्स,दिल्ली,7.1.11)।
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