महिलाएं उत्तराखंड में स्कूली शिक्षा को और बेहतर करने में अहम भूमिका निभाएंगी। शिक्षा का अधिकार नियमावली के पहले ड्राफ्ट रूल के मुताबिक राजकीय विद्यालयों की प्रबंधन समितियों में अब महिलाओं की पचास फीसदी भागीदारी रहेगी। यही नहीं, समिति के अध्यक्ष या महासचिव पद पर भी महिला चुनी जाएगी। उधर, नए नियम के बाद ग्राम शिक्षा समितियों और शिक्षक-अभिभावक संघ स्वतः समाप्त हो जाएंगे।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत राजकीय स्कूलों में विद्यालय प्रबंधन समितियों का गठन करने का प्रावधान है। इसके तहत राज्य स्तर पर जारी पहले ड्राफ्ट रूल के मुताबिक समितियों का गठन होते ही ग्राम शिक्षा समिति एवं अभिभावक-अध्यापक संघ कार्य करना बंद कर देंगे। खास बात यह है कि समितियों में वंचित एवं कमजोर वर्ग के बच्चों के माता-पिता को न्यूनतम २५ प्रतिशत प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। जबकि समिति में महिलाओं की भागीदारी न्यूनतम पचास प्रतिशत रहेगी। यही नहीं, तीन चौथाई सदस्य विद्यालय में अध्ययनरत बच्चों के ही माता-पिता होंगे।
नियम के मुताबिक ६० एवं इससे कम छात्रों वाले स्कूलों में नौ, ६१ से १८० छात्रों वाले स्कूलों में ११ एवं १८१ से अधिक छात्रों वाले स्कूलों में १३ निर्वाचित सदस्य होंगे। समितियां ड्रॉप आउट रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएंगी। इसके अलावा पात्र छात्रों को समय पर छात्रवृत्ति दिलाने, सरकार एवं अन्य साधनों से प्राप्त अनुदान और आय का नियमानुसार उपयोग सुनिश्चित करने, विद्यार्थियों की नियमित स्वास्थ्य जांच, छात्रों के बच्चों का स्वास्थ्य कार्ड बनवाने आदि का कार्य करेगी।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के समन्वयक भूपेंद्र नवानी के मुताबिक प्राइवेट स्कूलों को छोड़कर कक्षा एक से आठ तक के समस्त राजकीय विद्यालयों में विद्यालय प्रबंधन समितियों का गठन किया जाएगा। राज्य शैक्षिक एवं अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद के संयुक्त निदेशक टीका सिंह अधिकारी ने बताया कि इससे महिलाओं को शैक्षिक सुधार में सहभागिता के अवसर मिलेंगे।
बिना संस्तुति नहीं होगा तबादला
ड्राफ्ट रूल के अनुसार यदि विद्यालय प्रबंधन समिति शैक्षणिक सत्र की अंतिम बैठक में किसी शिक्षक का तबादला न किए जाने की संस्तुति करती है और इसमें अध्यापक की भी लिखित सहमति है तो उस अध्यापक का तबादला नहीं किया जा सकेगा(अमर उजाला,देहरादून,9.1.11)।
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