वर्ष 2010 सूबे में संस्कृत शिक्षा में रचनात्मक काल के लिए जाना जाएगा। इस मामले में बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड की सार्थक पहल रंग लाई। हाल के वर्षो में बोर्ड के स्तर से संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार, उसके साहित्य की अभिवृद्धि तथा संस्कृत शिक्षा में गुणात्मक परिवर्तन लाने के लिए आवश्यक वातावरण तैयार करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन व संगोष्ठी का आयोजन कराया गया। साहित्यिक व सांस्कृतिक चेतना की वैचारिक पत्रिका 'वाग्वन्दना' का प्रकाशन शुरू किया। यह पत्रिका संस्कृत विद्वानों व शिक्षाविदें में खासी चर्चा में रही।
बोर्ड के अध्यक्ष सिद्धेश्वर प्रसाद के नेतृत्व में पहली बार संस्कृत स्कूलों में पठन-पाठन को दुरुस्त करने के लिए नियमित अंतराल पर निरीक्षण अभियान चलाया गया। इसका असर भी हुआ। विद्यालय छोड़कर फरार रहने वाले शिक्षकों के विरुद्ध निलंबन की कार्रवाई हुई। उनके वेतन भुगतान पर रोक लगाई गई। इससे शिक्षकों की मानसिकता में स्पष्ट बदलाव दिखा। अध्यक्ष के मुताबिक, पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर बोर्ड प्रशासन ने 1659 प्रस्तावित संस्कृत विद्यालयों के दस्तावेज को नियमावली, 1993 के तहत भौतिक सत्यापन हेतु संबंधित जिलाधिकारियों को भेजा गया। उनमें से अबतक 1259 विद्यालयों का भौतिक सत्यापन की रिपोर्ट आ चुकी है। जिसकी बोर्ड स्तर से समीक्षा के बाद 914 विद्यालयों की प्रस्वीकृति देने की अनुशंसा राज्य सरकार से की जा चुकी है। उम्मीद है कि नये साल में अनुशंसित विद्यालयों को प्रस्वीकृति मिल जाएगी। शेष 400 विद्यालयों के भौतिक सत्यापन का प्रतिवेदन कई स्मार पत्र भेजने के बावजूद संबंधित जिलाधिकारियों से प्राप्त नहीं हुआ है।
खास बात यह कि संस्कृत बोर्ड की पहल पर ही 32 वर्षो के उपरांत वर्ष 2010 में राज्य सरकार ने 300 संस्कृत विद्यालयों की प्रस्वीकृति पर अपनी मोहर लगा दी और उसके शिक्षकों के वेतन आदि मद में करीब 10.50 करोड़ रुपये की स्वीकृति भी प्रदान कर दी है। बोर्ड के सचिव ओमप्रकाश शुक्ल के अनुसार, राज्य सरकार से सहयोग से सबसे पहले संस्कृत शिक्षा के लिए बेहतर शैक्षणिक माहौल बनाने का प्रयास तेज किया गया है। स्कूलों में पठन-पाठन में तेजी लाने, परीक्षा में कदाचार रोकने और कापियों की जांच में सुधार करने में अपेक्षित सफलता भी मिली है। सुधार के क्रम में बोर्ड द्वारा शिक्षकों की नियुक्ति तथा सेवाशर्त नियमावली के निर्माण और नये पाठ्यक्रम लागू करने के लिए पाठ्यक्रम समिति गठित की गई है। नये पाठ्यक्रम में कम्प्यूटर साइंस, सूचना तकनीक, योग शिक्षा और नैतिक शिक्षा आदि का समावेश किया जाएगा ताकि संस्कृत के विद्यार्थियों को भी रोजगार के अवसर मिल सके(दीनानाथ साहनी,दैनिक जागरण संवाददाता,पटना,2.1.11)।
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