जिन राज्यों ने मैनेजमेंट एस्पिरेंट्स को उनके ग्रेजुएशन के मार्क्स के आधार पर एडमीशन दिया है, एआईसीटीई ने उन्हें आड़े हाथों लेते हुए यह तय किया है कि बिना एंट्रेंस एग्जाम के मार्क्स के कोई भी स्टूडेंट पोस्ट मैनेजमेंट प्रोग्राम में एडमिशन नहीं ले सकता। महाराष्ट्र समेत कई राज्यों ने ऐसे स्टूडेंट्स को भी एडमीशन दिया, जिन्होंने कोई एंट्रेस एग्जाम नहीं दिया था।
जहां राज्य सरकार ने मास्टर्स प्रोग्राम में बिना किसी कॉमन ऐंट्रेस टेस्ट दिए हुए स्टूडेंट्स को एडमीशन लेने की अनुमति दी थी, उसके बावजूद 2010 में करीब 6,351 एमबीए की सीटें खाली पड़ी रहीं। शुरुआत में करीब 11,000 वेकेंसीस थी जिसके बाद सरकार ने सभी के लिए द्वार खोल दिए, जिसके बावजूद हजारों सीटें खाली पड़ी रहीं। इस समय महाराष्ट्र के कुल 366 मैनेजमेंट कॉलेजों में 24,995 सीटें हैं तथा समूचे भारत में करीब 4 लाख एमबीए की सीटें हैं। एआईसीटीई ने यह भी निर्धारित किया कि एमबीए या पीजीडीबीएम प्रोगा्रम की समय सीमा और दो साल बढ़ाई जाएगी। इसके अलावा एआईसीटीई ने इंस्टीटयूट्स को ब्रिटेन की तरह एक साल के एमबीए कोर्स को चलाने का भी सुझाव दिया।
इसके साथ-साथ मैनेजमेंट ग्रेजुएट्स में समानता लाने के उद्देश्य से,काउंसिल सभी मैनेजमेंट स्कूलों के लिए एक मॉडल करिकुलम भी तैयार करेगी तथा बी स्कूलों से ली जाने वाली फीस भी हर राज्य की फी फिक्सेशन कमिटी द्वारा ऐप्रूव की जाएगी।
अंत में कोर्सेस के लिए एडमीशन की प्रक्रिया की शुरुआत अकेडमिक ईयर 31 मार्च से पहले नहीं होगी तथा सेशन की शुरुआत 1 जून से अगले आने वाले साल की 31 मार्च तक होगी(नवभारत टाइम्स,मुंबई,2.1.11)।
अच्छी जानकारी। धन्यवाद।
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