महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. अवध राम ने वर्ष 2010 के परीक्षा परिणामों में भारी अनियमितताएं व गड़बड़ी होने की बात स्वीकार की है। उनका कहना था कि जुलाई 2009 में विद्यापीठ के साथ 225 कॉलेज जुड़ने के बाद यह पहली परीक्षा थी। इस वजह से गड़बड़ियां काफी ज्यादा हुई हैं। इससे करीब चार से पांच हजार छात्रों के प्रभावित होने का अनुमान है।
बुधवार को कुलपति कार्यालय में आयोजित पत्रकारवार्ता में उन्होंने कहा कि गड़बड़ियां कई स्तरों पर हुई हैं। छात्रों ने हिन्दी में फार्म भरा था। इसे एक एजेंसी को अंग्रेजी में फीड करना था। इसमें भी काफी गड़बड़ी हुई। इसके अलावा कहीं छात्रों को अनुपस्थित बता दिया गया तो कहीं नंबर गायब हो गए। कुछ छात्रों के अंकपत्र में इकाई-दहाई में गड़बड़ी के चलते निर्धारित से ज्यादा अंक भी चढ़ गए। इन सब गड़बड़ियों को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में पुनर्मूल्यांकन की कोई व्यवस्था न होने के बावजूद इस बार एक पेपर या एक विषय में फेल मेधावी छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं का पुनर्मूल्यांकन भी कराया जा रहा है। छात्र इसके लिए उनसे मिल सकते हैं। कुलपति ने बताया कि वर्ष 2011 की परीक्षा में यह गड़बड़ियां न हों, इसके लिए व्यवस्था की जा रही है। इस बार करीब ढाई लाख छात्र रहेंगे। इनके लिए तीन मूल्यांकन केन्द्र बनाए जा रहे हैं। उत्तर पुस्तिकाओं का विद्यापीठ के शिक्षकों से तत्काल पुनर्मूल्यांकन भी कराया जाएगा। प्रयास होगा कि जून अंत तक सारे परिणाम जारी हो जाएं।
संगठक कॉलेजों के विषय में चर्चा करते हुए कुलपति ने कहा कि अनुदानित कॉलेजों के शिक्षक संघ को विश्वविद्यालय से मान्यता नहीं दी गई है। विश्वविद्यालय की समितियों का जब पुनर्गठन होगा तो इसमें अनुदानित, राजकीय व वित्तविहीन कॉलेजों के शिक्षकों को समुचित प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। उन्होंने अनुदानित कॉलेजों के लिए अलग से परीक्षा व शोध समिति देने से इंकार किया। विद्यापीठ के शिक्षकों की पदोन्नति के लंबित मसले पर उनका कहना था कि पुरानी समितियों में काफी गड़बड़ियां थीं। इसका विश्वविद्यालय में विस्तृत परीक्षण कराया गया था। विश्वविद्यालय ने जो संस्तुति दी थी कुलाधिपति ने उसे यथावत स्वीकार कर लिया। इसमें 24 नई नियुक्तिया व 16 पदोन्नतियां निरस्त हो गईं। पदोन्नतियां प्राथमिकता के आधार पर की जाएंगी। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय की ग्रेडिंग निर्धारित करने के लिए नैक टीम इस माह के अंत या फरवरी की शुरुआत में विश्वविद्यालय आ सकती है। इसके लिए पत्र तैयार है। इसे शीघ्र नैक को भेजा जाएगा(दैनिक जागरण संवाददाता,वाराणसी,6.1.11)।
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