सारनाथ स्थित केंद्रीय तिब्बती अध्ययन विश्वविद्यालय में ‘मल्टीपल लैंग्वेज ट्रांसलेशन’ विषयक कांफ्रेंस में रविवार को दूसरे दिन विद्वानों ने तेन्ग्युर ग्रंथों के यूरोपीय भाषाओं में अनुवाद की संभावनाओं पर विचार व्यक्त किए। माइकल हान ने अपना शोधपत्र पढ़ते हुए बताया कि तिब्बती भाषा संस्कृत के काफी करीब है। जर्मन और संस्कृत का संबंध काफी प्रगाढ़ है। इसलिए तेन्ग्युर ग्रंथों का जर्मन भाषा में आसानी से अनुवाद किया जा सकता है।
अमेरिकन इंस्टीट्यूट आफ बुद्धिस्ट स्टडीज, कोलंबिया विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित तीन दिवसीय कांफ्रेंस के दूसरे दिन के सत्र की अध्यक्षता तिब्बती विवि के कुलपति प्रो. गेश नवांग समतेन तथा कोलंबिया विवि के प्रो. राबर्ट थरमन ने की। कई विद्वानों ने तेन्ग्युर ग्रंथों के यूरोपीय भाषाओं में अनुवाद की संभावनाओं की राह बताई। लुईस गोमेश ने कहा कि अभी तक तेन्ग्युर ग्रंथ संस्कृत भाषा से स्पेनिश में अनूदित हुए हैं जो बहुत स्तरीय नहीं हैं। आरफाइनो ने कहा कि संस्कृत और तिब्बती से इटैलियन भाषा में अनुवाद की लंबी परंपरा है। इसे जारी रखते हुए तेन्ग्युर ग्रंथों का इटैलियन भाषा में अनुवाद किया जा सकता है। विक्टोरिया लाइसेनकी और आंद्रे तेरेनतेब ने रशियन और येल बेंटर ने हिब्रू भाषा में अनुवाद पर जोर दिया।
विशिष्ट वक्ता ओंजर खेन्त्से रिनपोछे ने कहा कि तेन्ग्युर ग्रंथों में संरक्षित प्राचीन ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है। सत्र के बाद समूह संवाद हुआ। प्रो. एनएच समतानी, गेशे दमड्डल, लुईस गोमेश, जान कैंटी, बेर्डामेर ने भी विचार रखे। सत्र समापन वक्तव्य देते हुए कुलपति प्रो. गेशे नवांग समतेन ने कहा कि किसी भी ग्रंथ का मूल भाषा से दूसरी भाषा में अनुवाद मूल ग्रंथ के समस्त भावों को अभिव्यक्त करने में सक्षम होना चाहिए(अमर उजाला,वाराणसी,10.1.11)
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