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08 जनवरी 2011

मध्यप्रदेशःक़ानूनी पेचीदगियों के कारण एससी-एसटी छात्र नहीं जा पा रहे विदेश

सरकार की कल्याणकारी योजनाओं पर अधिकारी पलीता लगा रहे हैं। एससी-एसटी के विद्यार्थियों के विदेश शिक्षा योजना को अधिकारियों ने इतना पेचीदा बना दिया है कि अब विद्यार्थी सिर्फ विदेश जाने का सपना ही देख सकते हैं। उक्त निर्णय पर विभागीय मंत्री ने भी अपनी स्वीकृति दे दी है। भारत में जो पाठयक्रम संचालित हैं, उनकी पढ़ाई करने एससी-एसटी के विद्यार्थी विदेश नहीं जा सकेंगे। उन्हें विदेश पढ़ाई करने के लिए किसी ऐसे पाठयक्रमों की तलाश करनी पड़ेगी, जो सिर्फ विदेशों में चल रहे हों। इसके साथ ही उन्हें विदेशों की नामी शिक्षण संस्थाओं की प्रवेश परीक्षा पास करनी पड़ेगी। इसके अलावा विद्यार्थी ऐसे शोध करने नहीं जा सकेंगे, जिनकी सुविधा भारत के किसी साइंस सेंटर, शिक्षण संस्थान और अनुसंधान केन्द्र में है। उन्हें स्पेशल विषय ढूंढ़ना पडे़गा। इसके लिए विद्यार्थियों को सरकार से यह वचनबद्धता करनी पडे़गी कि उक्त विषय पर शोध सिर्फ विदेश में संभव है। विदेश शिक्षावृत्ति के संबंध में अगले माह से प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी। विद्यार्थियों के आवेदन पत्रों की स्क्रूटनी और साक्षात्कार के लिए एक समिति बनाई जाएगी। साक्षात्कार में सफल होने वाले विद्यार्थियों को ही विदेश शिक्षा के लिए अनुमति दी जाएगी। 

कब बनी योजना:
विदेश शिक्षा योजना पांच साल पहले भाजपा सरकार द्वारा बनाई गई थी। इस योजना के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के पांच-पांच मेधावी विद्यार्थियों को प्रति वर्ष विदेश शिक्षा देने का निर्णय लिया गया था। इस योजना के तहत विद्यार्थियों की पढ़ाई का खर्च और फीस सरकार देती है। इसके साथ ही उन्हें विदेश शिक्षा तथा विभिन्न व्यावसायिक पाठयक्रमों में प्रवेश के लिए दिल्ली में कोचिंग भी दी जाती थी। इसमें वही विद्यार्थी आवेदन कर सकते हैं, जो स्नातक और स्नातकोत्तर परीक्षा में प्रथम श्रेणी से पास हुए हों। इसके अलावा विद्यार्थी अंगे्रजी में संवाद करने की विशेष दक्षता रखता हो। विद्यार्थियों का चयन मेरिट के आधार पर किया जाता है। कितनों विद्यार्थियों को मिला लाभ : पिछले पांच साल में मात्र एक दर्जन विद्यार्थियों को इसका लाभ मिला। जिसमें अधिकांश विद्यार्थी इंग्लैंड में एमबीए करने गए हैं। मात्र दो विद्यार्थी विदेश में शोध कर रहे हैं। इस योजना के तहत विदेश से पढ़ाई करके तीन विद्यार्थी स्वदेश लौटे हैं, जिसमें एक विद्यार्थी यहां शासकीय नौकरी कर रहा है(दैनिक जागरण,भोपाल,8.1.11)।

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