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08 जनवरी 2011

केंद्रीय विश्वविद्यालयों में हिंदी अनिवार्य

देश के किसी भी केंद्रीय विश्वविद्यालय में अध्ययन की चाहत रखने वाले विदेशी छात्रों को अब हिंदी का अध्ययन करना होगा। इसके लिए सभी विवि स्वयं पाठ्यक्रम बनाएंगे। छात्रों को अनिवार्य रूप से देश की मातृभाषा का अध्ययन कराना विवि की जिम्मेदारी होगी। कैंपस एवं इससे संबद्ध महाविद्यालयों में स्नातक एवं परास्नातक की पढ़ाई में हिंदी का अधिक प्रयोग हो, इसका भी ध्यान रखा जाएगा। गत माह यूजीसी द्वारा गठित उच्चस्तरीय राजभाषा क्रियान्वयन समिति विश्वविद्यालयों में विदेशी छात्रों के हिंदी अध्ययन पर नजर रखेगी। कमेटी के सदस्य एवं अध्यक्ष प्रत्येक छह महीने पर विवि का भ्रमण कर हिंदी के विस्तार की जानकारी केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को देंगे। इस निर्णय के घेरे में भारतीय मूल के विदेशी छात्र भी शामिल होंगे। केंद्रीय राजभाषा क्रियान्वयन समिति ने इस प्रस्ताव का प्रारूप तय कर लिया है। कुछ दिनों पहले इलाहाबाद आये कमेटी के अध्यक्ष आचार्य यार्लगड्डा लक्ष्मी प्रसाद ने स्पष्ट किया कि केंद्रीय विवि में विदेशी छात्रों के लिए अनिवार्यत: हिंदी अध्ययन की व्यवस्था करना विवि की जिम्मेदारी है। इसके लिए सभी सेंट्रल विवि में हिंदी अधिकारी की नियुक्ति की जानी है। यूजीसी की योजना के अंतर्गत विश्वविद्यालयों में छह माह के भीतर राजभाषा विभाग की स्थापना होनी चाहिए। समिति विभिन्न विदेशी भाषाओं जैसे अरबी, स्पेनी, रूसी, जर्मन, फ्रांसीसी, हिब्रु एवं इतालवली आदि के अध्ययन को बढ़ावा देकर उनके हिंदी अनुवाद की व्यवस्था को भी देखेगी। समिति के सुझाव पर इके कुलपति प्रो. एनआर फारुकी का कहना है समिति ने हिंदी के प्रसार के लिए जो भी सुझाव दिये हैं, उनपर अमल होगा। विदेशी छात्रों में हिंदी के प्रति लगाव पैदा हो, इसके लिए प्रयास किये जा रहे हैं(अजहर अंसारी,दैनिक जागरण,इलाहाबाद,8.1.11)।

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