उर्दू की तरक्की के लिए संघर्ष के ऐलान के साथ शुरू हुआ ‘यौम-ए-उर्दू’ और इसे कामकाज की भाषा बनाने की कोशिश की सलाह के साथ खत्म हु आ। गुलाम सरवर की जयन्ती पर आयोजित समारोह में सभी वक्ताओं ने उपस्थित समूह को अपने बच्चों को उर्दू की तालीम देने का संकल्प दिलाया। समारोह सोमवार को श्रीकृष्ण मेमोरियल में गुलाम सरवर मेमोरियल सोसायटी द्वारा आयोजित किया गया। सरकार पर उर्दू के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हुए तय हुआ कि अगले वर्ष से समारोह हर जिले में आयोजित होगा। प्रतिपक्ष के नेता अब्दुलबारी सिद्दीकी ने क हा कि आजादी की जुबान को अपने हक के लिए संघर्ष करना पड़े यह बदकिस्मती है । उर्दू दूसरी राजभाषा है लेकिन इसे वह इज्जत नहीं मिलती। प्रदेश राजद अध्यक्ष रामचन्द्र पूर्वे ने क हा कि उनकी सरकार ने उर्दू जानने वालों के लिए सरकारी नौक रियों में रास्ता साफ किया था। बीपीएसी में उर्दू को परीक्षा का माध्यम बनाया गया। लेकिन वर्तमान सरकार ने सब खत्म कर दिया। सांसद रामकृपाल यादव, प्रवक्ता शकील अहमद खान, विधायक अख्तरूल ईमान और गुलाम गौस ने कहा कि उर्दू की बदहाली के लिए इस भाषा के जानकार भी क म जिम्मेदार नहीं हैं । राज्य में 12862 उर्दू शिक्षकों की बहाली में ऐसी शर्तें लगा दी गई हैं कि तीन हजार से अधिक उर्दू जानने वाले बहाल नहीं हो पाएंगे। समारोह को तनवीर हसन, आलोक मेह ता, अखलाक अहमद, शिवचन्द्र राम और रामानुज प्रसाद ने भी संबोधित किया।
केन्द्र व राज्य सरकार से की गईं मांग
गुलाम सरवर की याद में डाक टिकट जारी किया जाए, सीबीएसई पाठ्यक्र म में उर्दू अनिवार्य भाषा के रूप में शामिल हो, सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्र कमेटी की अनुशंसाएं लागू हों, पटना विवि का नाम गुलाम सरवर विवि हो, आचार्य और फाजिल डिग्रीधारियों को पहले की तरह प्रशिक्षित माना जाए, प्राथमिक से इंटर स्तर तक सभी रिक्त उर्दू शिक्षकों के पद भरे जाएं, मौलवी डिग्रीधारियों की बहाली पहले की तरह सामान्य विषयों में भी हो, उर्दू मकतब, मदरसों और यतीमखानों ।में भी मीड डे मील की व्यवस्था हो(हिंदुस्तान,पटना,11.1.11)
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