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31 जनवरी 2011

डीयू में एक हजार छात्रों का दाखिला रद्द

डीयू के स्कूल ऑफ ओपन लर्निग (एसओएल) में दाखिला पाकर ग्रेजुएशन की चाह रखने वाले करीब एक हजार छात्रों का भविष्य अधर में है। सत्र 2010-11 के लिए एसओएल ने ऐसे छात्रों को भी दाखिला दे दिया है, जो न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता को भी पूरा नहीं करते हैं।अब ऐसे छात्रों की पहचान होने के बाद उन्हें ई-मेल, फोन व पत्र से दाखिला रद्द होने की जानकारी दी जा रही है।

एसओएल स्टॉफ एसोसिएशन से जुड़े सूत्रों के अनुसार सत्र 2010-11 में प्रशासन के विरोध के बावजूद स्नातक स्तरीयविभिन्न पाठच्यक्रमों की शैक्षणिक योग्यता में बदलाव किया गया था। 12वीं में 33 फीसदी अंक के जरिए बीए व बीकॉम पास में दाखिला लेने वाले छात्रों के लिए निर्धारित योग्यता इस बार 40 फीसदी कर दी गई थी।

एक जून से 29 अक्टूबर 2010 तक चली ग्रेजुएशन दाखिला प्रक्रिया के तहत नए सत्र के लिए 1 लाख 17 हजार से ज्यादा दाखिले हुए। एसओएल प्रशासन पर आरोप है कि कम्प्यूटराइज्ड दाखिला प्रक्रिया के बावजूद करीब 1 हजार ऐसे दाखिले कर दिए गए, जो निर्धारित शैक्षणिक योग्यता को भी पूरा नहीं करते थे।

अब जबकि वह छात्र ग्रेजुएशन में दाखिला सुनिश्चित मान रहे हैं, उनके दाखिले रद्द किए जा रहे हैं। दाखिला प्रक्रिया देख रहे असिस्टेंट रजिस्ट्रार डॉ.ओपी शर्मा ने इसे दाखिला विंडो पर अक्सर बने रहने वाले दबाव का नतीजा बताया।


उन्होंने कहा चूंकि अक्सर भीड़ के चलते अंतिम तिथि के दौरान एक साथ कई सारे छात्रों के फॉर्म ले लिए जाते हैं, इसलिए मुमकिन है कि निर्धारित योग्यता को पूरा न करने वाले छात्र-छात्राओं के फॉर्म भी स्वीकार हो गए हों। 


यही कारण है कि प्रशासनिक स्तर पर बाद में सभी जमा फॉर्म का वेरिफि केशन किया जाता है और इसी प्रक्रिया में यह सारे दाखिले पकड़ में आए हैं। उन्होंने बताया कि न्यूनतम योग्यता को पूरा न करने वाले सभी दाखिले रद्द किए जा रहे है और इससे प्रभावित सभी छात्रों को इसकी जानकारी के साथ-साथ उनकी फीस भी लौटाई जा रही है।

‘प्रशासनिक चूक नहीं, विफलता’
एकेडमिक काउंसिल के सदस्य डॉ.अजय भागी कहते हैं कि यह चूक नहीं, विफलता है। एसओएल प्रशासन की ओर से निर्धारित शैक्षणिक योग्यता में बदलाव का निर्णय ही गलत है और इसे तुंरत वापस लिया जाना चाहिए। 

जिस तरह से फर्जी दाखिलों का यह मामला उजागर हुआ है उसने साफ कर दिया है कि एसओएल में किस तरह से दाखिला सत्र के दौरान एडमिशन का काम होता है। डॉ.भागी ने छात्रों के भविष्य को देखते सभी दाखिले स्वीकार करने के साथ-साथ कम्प्यूटराइज्ड प्रक्रिया में होने वाली इस चूक की जांच करने की मांग विवि प्रशासन से की है(शैलेन्द्र सिंह,दैनिक भास्कर,दिल्ली,31.1.11)।

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