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21 जनवरी 2011

दिल्ली में नर्सरी दाखिलाःगरीब कोटा लागू न किया तो मान्यता खत्म

दिल्ली सरकार ने गुरुवार को निजी स्कूलों को कड़ा संदेश देते हुए यह साफ कर दिया है कि अनिवार्य शिक्षा अधिनियम के तहत दाखिले में 25 फीसदी आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (ईडब्ल्यूएस) का कोटा लागू करने में कोताही की गई तो स्कूल की मान्यता रद्द कर दी जाएगी।

शिक्षा मंत्री अरविंदर सिंह लवली ने गुरुवार शाम एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि जो स्कूल दाखिले के लिए निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करेंगे उन्हें खिलाफ सरकार बहुत सख्त कदम उठाएगी।

उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि स्कूल ईडब्ल्यूएस कोटा को लागू नहीं करते हैं तो ऐसे स्कूलों के खिलाफ सरकार को स्कूल की मान्यता खत्म करने की कार्रवाई करने में भी कोई हिचक नहीं होगी। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत प्रावधानों का उल्लंघन करना आपराधिक मामला बनता है।

इससे पहले मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से जब पूछा गया कि स्कूल २५ फीसदी ईडब्ल्यूएस कोटा लागू करने से मना कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि जो स्कूल ऐसा करेंगे उनके खिलाफ सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी।

उन्होंने कहा कि यदि स्कूलों को कोई दिक्कत है तो सरकार समाधान निकालने के लिए वार्ता करने को तैयार है लेकिन वे किसी भी दिशा निर्देश का पालन करने से बच नहीं सकते।


शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत दाखिला पाने वाले हर छात्र के लिए मदद के तौर पर 1200 से 1500 रुपए स्कूल को अदा करेगी। इसके अलावा सरकार ईडब्ल्यूएस कोटे के छात्रों को यूनीफॉर्म व किताबें भी देगी। 


ऐसे में स्कूलों को इस अधिनियम को लागू करने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। सरकार इस कानून को सख्ती से लागू करवाने के प्रति बेहद गंभीर है और कानून का उल्लंघन कतई बर्दाश्त नहीं होगा और कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने में कोई देर नहीं लगेगी। 

मालूम हो कि कुछ निजी स्कूलों ने सरकार के निर्देश के तहत दाखिले में कोटा लागू करने से इनकार कर दिया था। जबकि शिक्षा का अधिकार कानून बनने के बाद से छह से 14 साल के बच्चों के लिए शिक्षा मौलिक अधिकार बन गया है। 

सरकार व स्थानीय निकायों की यह जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को उनके पड़ोस के स्कूल में दाखिला सुनिश्चित करेगी। यह पूछने पर कि क्या सरकार को निजी स्कूलों के खिलाफ कोई शिकायत मिली है तो शिक्षा मंत्री ने बताया कि 15 स्कूलों के खिलाफ शिकायतें मिली हैं, उनमें से ज्यादा दाखिले के मानकों के उल्लंघन से जुड़ी है।इन मामलों में सरकार के दखल के बाद स्कूलों ने अपनी गलती में सुधार कर लिया है(दैनिक भास्कर,दिल्ली,21.1.11)।

दैनिक जागरण की रिपोर्टः
दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों की नाफरमानी को सख्ती से लिया है। नर्सरी दाखिले में गरीबी कोटा न भरने वालों पर मान्यता समाप्त करने की चेतावनी दी है। साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग कोटे में दाखिला प्रक्रिया के तहत अगर निजी स्कूलों में सीटें खाली रह जाएंगी, तो उन्हें भरने के लिए सरकार सेंट्रलाइज दाखिला फार्म जारी करेगी। शिक्षा मंत्री अरविंदर सिंह लवली ने गुरुवार को कहा कि गरीब बच्चों के लिए 25 नर्सरी सीटें आरक्षित न करने पर कड़ी कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा अधिकार अधिनियम में नियमों की अनदेखी करने वाले स्कूलों के विरुद्ध अपराधिक मामला दर्ज कर स्कूलों को सरकार के अधीनस्थ चलाने का भी प्रावधान है। जरूरत पड़ी तो ऐसा भी किया जा सकता है। लवली ने बताया कि दिल्ली में करीब तीन हजार स्कूल हैं। इनमें से 500 स्कूल ऐसे हैं, जिन्हें डीडीए ने सस्ती भूमि आवंटित की है। ढाई हजार स्कूलों की फीस 300 रुपये से एक हजार रुपये के बीच है। 500 स्कूलों की फीस करीब दो हजार रुपये महीना है। सरकार ने तय किया है कि ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत 25 फीसदी सीटों पर नि:शुल्क दाखिला देने वाले स्कूलों को सरकार सहायता भी देगी। यह सहायता राशि एक हजार रुपये से लेकर 1300 रुपये के बीच हो सकती है। अनुमान के मुताबिक करीब एक लाख बच्चों को ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत दाखिला दिया जाना है। अगर किसी अभिभावक को स्कूलों से शिकायत हैं तो वह क्षेत्रीय उपशिक्षा निदेशक या शिक्षा अधिकारी के पास शिकायत कर सकता है। उन्होंने कहा कि बृहस्पतिवार को ईडब्ल्यूएस कोटे में दाखिला आवेदन फार्म जमा कराने की अंतिम तारीख थी। राजधानी में कुछ स्कूल ऐसे भी हैं, जिनका कहना है कि उनके यहां कोई आवेदन ही नहीं हुआ। ऐसे स्कूलों की जोन वाइज सूची बनाकर जिला स्तर पर सेंट्रलाइज दाखिला फार्म भरवाए जाएंगे। लवली ने कहा कि 31 मार्च तक दाखिला प्रक्रिया जारी है। इसके बाद दिल्ली के सभी जिलों के उपशिक्षा निदेशकों से उन स्कूलों की सूची मांगी जाएगी, जिनमें ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत 25 फीसदी सीटों में दाखिले पूरे नहीं हो पाए या हुए ही नहीं। जिला स्तर पर विभिन्न स्कूलों से डाटा लेकर गरीब अभिभावकों को घर की दूरी के हिसाब से सेंट्रलाइज फार्म पर सीटों का आवंटन किया जाएगा। किस स्कूल में अभिभावक अपने बच्चे का दाखिला कराने चाहते हैं? यह भी उनसे पूछा जाएगा और उनकी सहमति पर ही घर के नजदीक, जिस स्कूल में सीटें खाली होंगी वहां दाखिला कराया जाएगा।

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