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20 जनवरी 2011

एचपी यूनिवर्सिटी : चारों ओर से घिरा यूनिवर्सिटी प्रशासन

एचपी यूनिवर्सिटी में परीक्षा नियंत्रक की नियुक्ति को लेकर खड़े हुए विवाद के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन सवालों के कटघरे में आ गया है। यूनिवर्सिटी के विभिन्न विभागों में कार्यरत करीब 1500 कर्मचारियों ने कामकाज पूरी तरह से ठप कर दिया है। वहीं, नए परीक्षा नियंत्रक के पदभार संभालने के दो हफ्ते बाद भी कर्मचारी उन्हें सीओई का दर्जा नहीं दे रहे हैं।

यहां तक की कुछ विभागों ने तो नव नियुक्त परीक्षा नियंत्रक नरेश महाजन की स्टैंप लेने से भी इंकार कर दिया है। विवि की सभी शाखाएं तकरीबन खाली हो गई हैं और परीक्षा संबंधी औपचारिकताएं फाइलों तक ही सीमित रह गई हैं। परीक्षा संबंधी कार्यो को पूरा करने के लिए यूनिवर्सिटी पहुंच रहे छात्रों को काम करवाने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। संयुक्त संघर्ष समिति ने सभी कर्मचारियों, एससीए और एसएफआई को साथ लेकर प्रशासन पर हल्ला बोल दिया है। बुधवार को भी करीब एक हजार कर्मचारियों ने कुलपति कार्यालय के बाहर नियुक्ति को लेकर विरोध किया। परीक्षा नियंत्रक के पद को निर्धारित प्रRिया के तहत भरने, प्रतिनियुक्ति पर तैनात अधिकारियों को बाहर करने और रिक्त पड़े पदों को भरने की मांग कर रहे कर्मचारियों ने नारेबाजी की।

सीओई कार्यालय में पूरी हो रही औपचारिकताएं

प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने सीओई की स्टैंप लेने से इंकार कर दिया है। ऐसे में मार्कशीट और परीक्षा संबंधी औपचारिकताएं जो कर्मचारी भी पूरी कर सकते हैं, उसके लिए भी छात्रों को सीओई कार्यालय की दौड़ लगानी पड़ रही है।

मांगों को लेकर संयुक्त संघर्ष समिति ने आगामी रणनीति तैयार कर ली है। बुधवार को समिति की गैर शिक्षक कर्मचारी संघ, चतुर्थ श्रेणी एवं तकनीकि कर्मचारी संघ के साथ हुई बैठक में आगामी रणनीति पर चर्चा की गई। समिति के कार्यकारी अध्यक्ष रमेश चंद ठाकुर का कहना है कि कर्मचारी अपनी मांगों पर अड़े रहेंगे। वहीं, समिति के प्रेस सचिव नरेश कुमार, गैर शिक्षक कर्मचारी संघ के प्रधान हितेश्वर चौहान, ओपी शर्मा का कहना है कि यदि कर्मचारियों की मांगें पूरी न की गई तो प्रशासन को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे(दैनिक भास्कर,शिमला,20.1.11)।

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