इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी (आइएनएस) ने श्रमजीवी पत्रकारों के लिए वेतन बोर्ड की सिफारिशों पर आश्चर्य और निराशा जताते हुए सरकार से इसे रद करने की मांग की है। इस मुद्दे पर चर्चा के लिए आइएनएस ने गुरुवार को मुंबई में एक आपात बैठक की। आइएनएस के अध्यक्ष कुंदन आर. व्यास ने कहा कि अगर सरकार वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करती है तो कई समाचार पत्र प्रतिष्ठान कारोबार से बाहर हो जाएंगे। एक वक्तव्य में व्यास ने कहा कि वेतन बोर्ड की रिपोर्ट में कई खामियां हैं और यह एकतरफा है। वेतन बोर्ड का गठन सही तरीके से नहीं हुआ और कई नियमों को ताक पर रखकर रिपोर्ट तैयार की गई है। वर्तमान वेतन बोर्ड ने सदस्यों से राय मशविरा किए बिना अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। वेतन आयोग ने ऐसी सिफारिशें दी हैं जो उसके वैधानिक दायरे से बाहर हैं। व्यास के मुताबिक बोर्ड ने भुगतान करने की क्षमता का आकलन करने के लिए न सिर्फ स्थापित सिद्धांतों की अनदेखी की, बल्कि समाचार पत्र उद्योग पर पड़ने वाले बोझ को भी जानने का कोई प्रयास नहीं किया। इतना ही नहीं, इस वेतन बोर्ड ने शुरुआती प्रस्तावों को प्रकाशित करने का दायित्व भी नहीं निभाया ताकि निष्पक्ष अवसर और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का सम्मान किया जा सके। जबकि पहले के वेतन बोर्ड ऐसा करते रहे हैं। समाचार पत्र उद्योग की भावनाओं को व्यक्त करते हुए व्यास ने कहा कि समय के हिसाब से इन वेतन बोर्डो का अस्तित्व ही बेमायने हो गया है। राष्ट्रीय श्रम आयोग भी वर्ष 2002 में यह सुझाव दे चुका है कि किसी भी उद्योग में वेतन तय करने के लिए किसी भी तरह के वेतन बोर्ड की कोई जरूरत नहीं है। अकेले समाचार पत्र उद्योग के लिए ही ऐसा वैधानिक वेतन बोर्ड गठित किया जाता है। इसकी मौजूदगी किसी प्रतिष्ठान की स्वतंत्र और निष्पक्ष ढंग से काम करने की क्षमता को वित्तीय रूप से कमजोर करती है(दैनिक जागरण,दिल्ली,22.1.11)।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।