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29 जनवरी 2011

आंगनबाड़ी पर भी महंगाई की मार

सरकारी योजनाओं पर भी महंगाई की मार पड़ने लगी है। आंगनबाड़ी में बच्चों को पूरक पोषाहार के लिए दिए जाने वाली चार से छह रुपये प्रतिदिन की राशि अब कम पड़ने लगी है और कई राज्यों ने हाथ खड़े करते हुए केंद्र से इस राशि को कम से कम दोगुना करने की मांग की है। इसके अलावा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय को बढ़ाने की भी मांग जोरदारी से उठी है। समेकित बाल विकास योजना को मजबूत करने के लिए केंद्र ने राज्यों से परियोजना क्रियान्वयन प्लान 20 फरवरी तक भेजने को कहा है, ताकि इस पर काम शुरू किया जा सके। विभिन्न राज्यों के महिला व बाल विकास मंत्रियों के सम्मेलन में महंगाई का रोना रोया गया और धन की समस्या को लेकर केंद्र व राज्यों के बीच मतभेद भी उभरे। ऐसे में प्रधानमंत्री के विशेष जोर वाली समेकित बाल विकास योजना के तेजी से क्रियान्वयन पर सवाल भी खड़े हुए। बच्चों को पूरक पोषाहार के लिए दिए जाने वाले 4 से 6 रुपये प्रतिदिन के प्रावधान पर सवाल उठे और राज्यों ने कहा कि इस महंगाई के दौर में इस राशि में यह कर पाना मुश्किल है। उत्तर प्रदेश ने तो इसे बढ़ाकर आठ रुपए करने का सुझाव भी दिया। केंद्र ने इसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ने की बात कही। इसी तरह आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दिए जाने वाले मानदेय को बढ़ाकर पांच हजार करने की भी मांग की गई। अभी यह ढाई से तीन हजार के बीच है और इसमें केंद्रीय सहायता 1500 रुपये माहवार है। बैठक के बाद केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कृष्णा तीरथ ने कहा कि बैठक समेकित बाल विकास योजना को नए सिरे से मजबूत करने के लिए सबला, मातृत्व सहयोग योजना, आंगनबाड़ी में प्री-स्कूल योजना, समेत तमाम मुद्दों पर व्यापक चर्चा हुई। आंगनबाड़ी को पक्का करने के लिए मंत्रालय ने सांसदों, विधायकों, पार्षदों व जिला पंचायतों व पंचायतों से मदद मांगी है ताकि पक्के भवन बनने के बाद इस बारे में कार्यक्रमों को लागू किया जा सके। बैठक में लगातार गायब हो रहे बच्चों का भी सवाल उठा। इसके लिए पश्चिम बंगाल में पायलट आधार पर चल रही ट्रेकिंग व्यवस्था को सभी राज्यों में लागू करने की बात कही गई(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,29.1.11)।

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