प्रदेश के हजारों स्नातक शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण देकर नियमित करने की दिशा में पाठ्यक्रम तैयार करने की कवायद शुरू हो गई है। राज्य शिक्षा संस्थान उप्र में विषय विशेषज्ञों का पैनल दूरस्थ शिक्षा को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम बनाने में लग गया है। दो वर्ष के प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में चार सेमेस्टर हैं, जिसमें आठ विषय रखे गए हैं। क्योंकि दूरस्थ शिक्षा के जरिए प्रशिक्षण कराना है, इसलिए प्रत्येक विषय को दो इकाइयों में बांट कर सरल बनाने की प्रक्रिया की जा रही है। इकाइयों के आधार पर ही प्रश्नपत्र भी तैयार किए जाएंगे। प्रशिक्षण पाठ्यक्रम की सबसे खास बात यह होगी कि शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण के साथ-साथ इंटर्नशिप भी कराये जाने की योजना है। इसमें शिक्षामित्रों को प्रोजेक्ट कार्य, क्रियात्मक शोध, पाठ्यपुस्तक की समीक्षा, शिक्षा का अधिकार अधिनियम के क्रियाकलाप, टीचर लर्निग मैटीरियल बनाने के कार्य कराए जाएंगे। प्रत्येक सेमेस्टर के साथ इंटर्नशिप लागू कराने की योजना है।संस्थान की प्राचार्या डा. सुत्ता सिंह ने बताया कि अभी समय-समय पर पाठ्यक्रम में कई संशोधन हो रहे हैं। पूर्ण रूप से तैयार होने के बाद पाठ्यक्रम एससीईआरटी उप्र को भेजा जाएगा, जहां से इसे मंजूरी मिलेगी। उन्होंने बताया कि बीटीसी कोर्स को आधार मानकर शिक्षामित्रों के लिए पाठ्यक्रम का विकास किया जा रहा है। इसमें दूरस्थ शिक्षा के पहलू और शिक्षामित्रों की दिनचर्या पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है(दैनिक जागरण,29.1.11)।
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