कम्प्यूटर सीखने में आनाकानी करने वाले मदरसा शिक्षकों के खिलाफ अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने कार्रवाई शुरू कर दी है। विभाग ने ऐसे राजधानी के डेढ़ दर्जन मदरसा शिक्षकों का वेतन रोक दिया है, जो कम्प्यूटर ट्रेनिंग में रुचि नहीं ले रहे हैं। इसी के साथ दर्जनों अन्य शिक्षकों पर भी कार्रवाई की तलवार लटक गई है।
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की ओर से अरबी-फारसी मदरसों में आधुनिकीकरण योजना के तहत शिक्षकों को कम्प्यूटर का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। क्योंकि वर्ष २००८ से मदरसों में कम्प्यूटर शिक्षा अनिवार्य कर दी गई है। वहीं, मदरसों के अधिकांश शिक्षक कम्प्यूटर की जानकारी नहीं रखते। लखनऊ के दर्जनों मदरसों को सरकारी योजना के तहत कम्प्यूटर सेट भी उपलब्ध हो चुके हैं। छात्रों को कम्प्यूटर सिखाने के लिए टीचर्स का एक प्रशिक्षण कार्यक्रम गत माह पूरा हो गया, जिसमें ७० प्रतिशत से अधिक उपस्थिति नहीं रही। ४९ टीचर्स का एक बैच दस जनवरी से डायट में शुरू हुआ। उनमें ४५ टीचर्स ने प्रशिक्षण में शामिल होने से मना कर दिया। डायट से मिली इस सूचना पर जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी विजय प्रताप यादव ने गुरुवार को सभी ४५ टीचर्स का वेतन रोकने का आदेश दिया है।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल न होने वाले अधिकांश टीचर इरम एजुकेशन सोसाइटी से जुड़े मदरसों के बताए जा रहे हैं। इस सोसाइटी के माध्यम से राजधानी में १५ से अधिक मदरसे संचालित किए जा रहे हैं। अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने बताया कि टीचर्स का वेतन रोकने के साथ मदरसा संचालकों को भी नोटिस दिए जा रहे हैं(अमर उजाला,लखनऊ,15.1.11)।
आशा है कि वो दिन भी जरूर आयेगा जब ब्लॉगिंग न सिखाने पर कम्प्यूटर टीचरों का वेतन काटा जाएगा!
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