दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाए जाने वाले विभिन्न विषयों के पाठ्यक्रमों को आज की जरूरतों के हिसाब बनाया जाएगा। इसके लिए आनेवाले दिनों में प्रशासन छात्र और शिक्षकों को पत्र लिखेगा।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो दिनेश सिंह ने बताया कि आज समाज काफी बदलाव से गुजर रहा है। इन बदलावों की झलक और इससे जुड़ा ज्ञान किताबों में पढ़ाया जा रहा है या नहीं यह देखना जरूरी है। सामाजिक विज्ञान हो या कॉमर्स, इनके पाठ्यक्रमों में सामाजिक जरूरतों को ध्यान में रखकर परिवर्तन या संशोधन किया जाएगा। अगर ऐसा नहीं होता है तो विश्वविद्यालय की महत्तता कम होती जाएगी। इसके प्रति छात्रों का भी लगाव कम होगा।
प्रो सिंह ने बताया कि उदाहरण के तौर पर भारत में लुधियाना के जरिए चीन से जिस तरह व्यापार हो रहा है यह आज के छात्रों को जानना जरूरी है। अर्थशास्त्र या इसी तरह के दूसरे कोर्स को छात्रों के लिए प्रासंगिक बनाने की दिशा में आनेवाल दिनों में काम करना होगा। यह सब सेमेस्टर के जरिए होगा। उन्होंने बताया कि सेमेस्टर के तहत पाठ्यक्रम निर्माण में छात्रों की राय भी ली जाएगी। शिक्षकों को भी शामिल किया जाएगा। विश्वविद्यालय में ऐसे कोर्स भी शुरू किए जाएंगे जो रोजगार के लिहाज से उपयुक्त हैं। हालांकि अभी इसकी रूपरेखा तैयार नहीं की गई है। शिक्षण संस्थान में कार्य करने वाले अपनी उचित जिम्मेदारी समझें और उसे निभाएं इस पर प्रशासन का खासा जोर होगा(अनुपम कुमार,नई दुनिया,दिल्ली,2.1.11)।
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