छोटों को सताने में यूपी के सीनियर्स अव्वल हैं। देशभर में रैगिंग के जितने केस होते हैं, उनमें यूपी का सर्वाधिक हिस्सा होता है। केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय तक पहुंची जानकारी के अनुसार सन् 2010 में 658 मामले रैगिंग के हुए इसमें सबसे ज्यादा 131 यूपी के निकले। इसके बाद पश्चिम बंगाल का नंबर है। यह स्थिति तब है जब प्रदेश में यूपी एन्टी रैगिंग एक्ट-2009 प्रभावी है। विभिन्न प्रोफेशनल कालेजों में पहुंचने वाले कनिष्ठ छात्रों को अपने सीनियर्स से स्वागत के नाम पर अक्सर रैगिंग की सौगात मिलने के मामले प्रकाश में आते रहे हैं। इस रैगिंग के चलते कई छात्रों के आत्महत्या करने तक के मामले सामने आए हैं। रैगिंग के बढ़ते प्रकरण रोकने के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर कड़ी कवायद की गई। राजीव गांधी नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ से एलएलबी कर रहे कुश कालरा ने रैगिंग के बाबत मानव संसाधन विकास मंत्रालय से सूचनाएं मांगी थीं। मंत्रालय की जानकारी के अनुसार वर्ष 2010 में देशभर में रैगिंग के 658 मामले दर्ज किए गए। इनमें सबसे ज्यादा 131 मामले उत्तर प्रदेश के विभिन्न कालेजों के हैं। दूसरे नंबर पर 86 मामलों के साथ पश्चिम बंगाल के हैं। इनके अलावा मणिपुर में सबसे कम मात्र एक रैगिंग की घटना हुई। भावी इंजीनियर सबसे आगे रैगिंग के मामले में भावी इंजीनियर्स सबसे आगे हैं। कुल दर्ज 658 मामलों में 333 इंजीनियरिंग कालेजों के हैं, जबकि सामान्य कालेजों में 195, मेडिकल कालेजों में 71 और पॉलिटेक्निक में 59 रेगिंग की घटनाएं दर्ज की गई। लड़के ज्यादा रैगिंगबाज लड़कियां रैगिंग करने में कम नहीं हैं लेकिनलड़के इस मामले में ज्यादा आगे हैं। कुल दर्ज मामलों में 594 लड़कों से जुड़े हैं, जबकि रैगिंग की 64 घटनाएं लड़कियों के साथ हुई। कार्रवाई ऊंट के मुंह में जीरा रैगिंग रोकने के लिए शुरू की गई हेल्पलाइन पर 2,07,752 कॉल दर्ज की गई, जबकि इनमें मात्र 658 शिकायतें दर्ज की गई। इनमें भी 638 पर कार्रवाई हुई, जबकि बीस मामले अभी तक अधर में हैं(रोहिताश्व कुमार वर्मा, दैनिक जागरण,मुजफ्फरनगर,7.1.11)।
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